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MapmyIndia ने वापस लिया इस नई कंपनी में निवेश का फैसला, शेयरों में आया इतना बड़ा उछाल

MapmyIndia Share Price: CE Info Systems ने सीएमडी राकेश वर्मा के बेटे और सीईओ रोहन वर्मा की नई कंपनी में निवेश का फैसला वापस ले लिया. निवेशकों के रिस्पॉन्स के बाद यह निर्णय लिया गया. इस खबर से MapmyIndia के शेयरों में 16% से ज्यादा का उछाल आया.

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Edited By: Shilpa Srivastava
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MapmyIndia Share Price: CE Info Systems ने स्टॉक एक्सचेंज को औपचारिक रूप से जानकारी देते हुए कहा है कि उन्होंने सीएमडी राकेश वर्मा के बेटे और सीईओ रोहन वर्मा की नई कंज्यूमर-फेसिंग कंपनी से हर तरह का निवेश वापस ले लिया है. इस खबर के बाद कंपनी के शेयर में 16% से ज्यादा का उछाल देखा गया, जिससे पिछले दो हफ्तों में हुए नुकसान की भरपाई हो गई है. कंपनी ने कहा कि निवेशकों के रिस्पॉन्स के बाद, उन्होंने नई कंपनी में इक्विटी या डेब्ट निवेश करने का फैसला पलट दिया है. मैपमाईइंडिया के खुदरा ब्रांड Mappls और उससे संबंधित ऐप्स अभी भी कंपनी के स्वामित्व में हैं. कंपनी ने यह भी बताया कि वे भविष्य में B2B और B2B2C क्षेत्रों में निवेश जारी रखेंगे जो उनके लिए काफी जरूरी है. 

पिछले महीने, 29 नवंबर को, मैपमाईइंडिया के बोर्ड ने नई कंपनी में 10% हिस्सेदारी के लिए 10 लाख रुपये और आगे 35 करोड़ कंपल्सरी कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (CCDs) के रूप में निवेश को मंजूरी दी थी. यह फैसला अल्पसंख्यक शेयरधारकों के लिए चिंता का कारण बना, क्योंकि इससे कंपनी की हाई डेवलपमेंट क्षमता वाले B2C सेगमेंट पर प्रभाव पड़ सकता था. इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट आई थी.

 शेयरधारकों और मार्केट इन्वेस्टर्स ने की तीखी आलोचना:

इससे पहले, मैनेजमेंट ने कहा था कि नई कंपनी रोहन वर्मा के पैसे से चलाई जाएगी. हालांकि, इस निवेश को लेकर शेयरधारकों और मार्केट इन्वेस्टर्स ने तीखी आलोचना की. सोशल मीडिया पर विशेषज्ञों ने इसे शेयरधारकों के हितों के साथ समझौता बताया है. कंपनी के एक बयान में कहा गया कि मैपमाईइंडिया को B2B और B2B2C क्षेत्रों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है क्योंकि वे उनकी 99% से ज्यादा इनकम का हिस्सा हैं जिससे भविष्य में उनके लिए बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है. 

हालांकि, कुछ निवेशकों और विश्लेषकों ने कंपनी के कंज्यूमर ओरिएंटेड (B2C) मैपिंग और नेविगेशन बिजनेस को अलग करने के फैसले पर भी सवाल उठाए. उनका मानना है कि इस स्पिन-ऑफ से कंपनी की लॉन्ग-टर्म वैल्यू और निवेशकों के हितों पर सही प्रभाव पड़ सकता है. विशेषज्ञों ने इस कदम को गवर्नेंस और शेयरधारक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा.