Finance Bill 2025: मंगलवार को लोकसभा से 2025-26 के बजट के तहत फाइनेंस बिल पारित हुआ. इस बिल में 35 महत्वपूर्ण संशोधन किए गए, जिनमें से एक अहम बदलाव यह था कि ऑनलाइन विज्ञापनों पर 6 प्रतिशत डिजिटल कर को खत्म कर दिया गया है. इसके साथ ही, लोकसभा ने बजट अनुमोदन प्रक्रिया को पूरा किया, और अब यह बिल राज्यसभा में जाएगा. राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद 2025-26 का बजट पूरा हो जाएगा.
नई वित्तीय वर्ष के लिए कुल खर्च का अनुमान 50.65 लाख करोड़ रुपये लगाया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष से 7.4 प्रतिशत अधिक है. इस वर्ष के लिए कुल पूंजीगत व्यय 11.22 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है, जबकि प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ रुपये होगा. वहीं, अनुमानित सकल कर राजस्व 42.70 लाख करोड़ रुपये और सकल उधारी 14.01 लाख करोड़ रुपये होगी.
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय योजनाओं के लिए 5,41,850.21 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल यह राशि 4,15,356.25 करोड़ रुपये थी. केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए इस बार 16.29 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल के 15.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि डिजिटल रिकॉर्ड्स तक टैक्स अधिकारियों की पहुंच देने से टैक्स चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि WhatsApp मैसेज से 250 करोड़ रुपये की अनअकाउंटेड मनी का पता चला. इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी के बारे में WhatsApp संदेशों के आधार पर 200 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ.
सीतारमण ने यह भी बताया कि Google Maps के इतिहास और Instagram खातों का इस्तेमाल यह पहचानने के लिए किया गया कि लोग कहां-कहां जाते हैं, ताकि नकद राशि को छुपाया जा सके और बेनामी संपत्ति का मालिकाना पता चल सके. वित्त मंत्री ने यह बताया कि नए कानून के तहत अधिकारियों को अब ईमेल, WhatsApp, Telegram जैसे संचार प्लेटफॉर्म और ऐसे बिजनेस सॉफ़्टवेयर और सर्वर तक पहुंच मिल सकेगी, जिनका इस्तेमाल वित्तीय लेन-देन छुपाने के लिए किया जाता है.
इस संशोधित बिल के द्वारा सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि नई तकनीकी प्रणालियों का उपयोग टैक्स अधिकारियों को ऐसे वित्तीय लेन-देन की जांच करने में सक्षम बनाए. अब वर्चुअल संपत्तियों जैसे क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी को भी प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि इनका इस्तेमाल टैक्स चोरी या धोखाधड़ी के लिए न किया जा सके.