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India Daily

'कल्याणकारी योजना लोगों को बना रही 'कामचोर', एक हफ्ते में 90 घंटे काम वाले बयान के बाद एसएन सुब्रह्मण्यन ने ये क्या बोल दिया?

भारत में मजदूरों की कमी निर्माण क्षेत्र और अन्य तकनीकी क्षेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. सरकार की कई योजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं के बावजूद, लोग अपने ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं. इस पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि विकास के कामों को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके.

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Edited By: Mayank Tiwari
L&T chief S N Subrahmanyan
Courtesy: Social Media

भारत के प्रमुख निर्माण और इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के सीईओ एस एन सुब्रहमण्यम अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. इस बीच एस एन सुब्रहमण्यम ने मंगलवार (11 फरवरी) को कहा कि कंपनियां मजदूरों की कमी से जूझ रही हैं, क्योंकि मजदूर कई कारणों से अपने गांवों और कस्बों से पलायन करने को तैयार नहीं हैं. सुब्रहमण्यम ने इस समस्या को भारत का विशेष मुद्दा बताया, जबकि उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर में प्रवास सामान्य प्रक्रिया है.

सुब्रहमण्यम ने सीआईआई साउथ ग्लोबल लिंकेज समिट में अपने भाषण के दौरान बताया कि L&T को अपने निर्माण परियोजनाओं के लिए हर साल चार लाख मजदूरों की आवश्यकता होती है, लेकिन कंपनी को 16 लाख श्रमिकों को रोजगार देना पड़ता है, क्योंकि इस क्षेत्र में श्रमिकों का पलायन दर बहुत अधिक है.

मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों से नहीं जाना चाहते- सुब्रहमण्यम

इस दौरान लार्सन एंड टुब्रो के चीफ ने इसके पीछे कई कारणों का उल्लेख किया, जैसे जन धन बैंक खाता, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजनाएं, गरीब कल्याण योजना, और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) शामिल है. सुब्रहमण्यम ने कहा, "मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों से नहीं जाना चाहते, क्योंकि उन्हें अपने घरों में आराम मिलता है।"

मजदूरों की भर्ती में चुनौतियां और L&T की पहल

L&T प्रमुख ने यह भी बताया कि कंपनी को पूरे देश में निर्माण मजदूरों और बढ़ई जैसे पेशेवरों की भर्ती में मुश्किलें आ रही हैं. इसी कारण, L&T ने श्रमिकों को प्रबंधित करने के लिए एक नया विभाग स्थापित किया है. इसके साथ ही, सुब्रहमण्यम ने यह भी कहा कि सिर्फ निर्माण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग से जुड़े कई अन्य क्षेत्रों में भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने उदाहरण के तौर पर आईटी क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए कहा, "1983 में जब मैंने इस कंपनी में जॉइन किया था, तो मुझे चेन्नई से दिल्ली शिफ्ट होने को कहा गया था, लेकिन आज अगर मैं किसी को चेन्नई से दिल्ली काम करने के लिए कहूं, तो वह कहेगा 'बाय'."

मिडिल ईस्ट के देशों में बढ़ते अवसर

सुब्रहमण्यम ने भारत के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन साथ ही उन्होंने यह अफसोस जताया कि इस विकास को पूरा करने के लिए जरूरी मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय मजदूरों को सऊदी अरब, ओमान और कतर जैसे देशों में ज्यादा वेतन मिलने के कारण वहां के रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हो रही है.