अब फायदे का सौदा नहीं रहा मुर्गी पालन, पोल्ट्री उद्योगों पर पड़ रही महंगाई की मार, डिमांड भी हुई कम

पोल्ट्री उद्योग चलाने की लागत में वृद्धि भी कीमतों को प्रभावित करती है. पशुधन फ़ीड, बिजली, और श्रम लागत में वृद्धि से पोल्ट्री उत्पादों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है, जिसका सीधा असर उपभोक्ता कीमतों पर पड़ता है. यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक कारणों से भी पशुधन फ़ीड की लागत बढ़ी है जिससे पोल्ट्री व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

पिछले कुछ वर्षों से, बढ़ती महंगाई ने आम जनमानस को बुरी तरह प्रभावित किया है.  खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है.  इस महंगाई का असर पोल्ट्री उद्योगों पर भी साफ़ दिखाई दे रहा है.  मुर्गी पालन व्यवसाय, जो कभी मुनाफे का सौदा माना जाता था, आज महंगाई की मार से जूझ रहा है.

महंगाई के कारण
महंगाई एक जटिल आर्थिक घटना है जिसके कई कारण हो सकते हैं. केवल "सिंडिकेट" को दोष देना समस्या का सरलीकरण होगा. वास्तव में, महंगाई के मुख्य कारणों में से कुछ इस प्रकार हैं:

मांग और आपूर्ति में असंतुलन: किसी वस्तु की कमी होने पर, उपभोक्ता उसे पाने के लिए अधिक कीमत देने को तैयार हो जाते हैं. इसे "मांग जनित मुद्रास्फीति" कहते हैं. उदाहरण के लिए, यदि किसी कारण से पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति कम हो जाती है, तो कीमतें बढ़ जाएंगी.

उत्पादन लागत में वृद्धि: पोल्ट्री उद्योग चलाने की लागत में वृद्धि भी कीमतों को प्रभावित करती है. पशुधन फ़ीड, बिजली, और श्रम लागत में वृद्धि से पोल्ट्री उत्पादों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है, जिसका सीधा असर उपभोक्ता कीमतों पर पड़ता है. यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक कारणों से भी पशुधन फ़ीड की लागत बढ़ी है जिससे पोल्ट्री व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

मौद्रिक मुद्रास्फीति: जब सरकार बहुत अधिक पैसा छापती है, तो बाजार में पैसे की अधिकता हो जाती है, जिससे पैसे का मूल्य कम हो जाता है और सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं. यह "मौद्रिक मुद्रास्फीति" है, और यह आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम है.

पोल्ट्री उद्योग पर प्रभाव
महंगाई के इन कारणों का पोल्ट्री उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है:

उत्पादन लागत में वृद्धि: फ़ीड की कीमतों में वृद्धि ने पोल्ट्री किसानों की लागत को काफी बढ़ा दिया है. इससे उनके मुनाफे में कमी आई है और कई किसान व्यवसाय बंद करने पर मजबूर हो गए हैं.

उपभोक्ता मांग में कमी: बढ़ती कीमतों के कारण, उपभोक्ताओं ने पोल्ट्री उत्पादों की खपत कम कर दी है. इससे पोल्ट्री किसानों को अपने उत्पादों को बेचने में कठिनाई हो रही है.

नये निवेश में कमी: अनिश्चित आर्थिक माहौल और कम मुनाफे के कारण, पोल्ट्री उद्योग में नया निवेश भी कम हो गया है. इससे उद्योग के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

समाधान 
इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है:

उत्पादन लागत को कम करना: पशुधन फ़ीड की कीमतों को कम करने के लिए सरकार को नीतियां बनानी चाहिए. किसानों को फ़ीड उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

उपभोक्ता जागरूकता: उपभोक्ताओं को पोल्ट्री उत्पादों के पोषण महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए, ताकि वे इनका उपभोग करना न छोड़ें.

सरकारी हस्तक्षेप: सरकार को पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उचित नीतियां बनानी चाहिए. किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए और उन्हें तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

बाजार सुधार: पोल्ट्री उत्पादों के बाजार को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है. बिचौलियों की भूमिका को कम किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके.

महंगाई एक गंभीर समस्या है, और इसका समाधान केवल सरकार के प्रयासों से ही संभव नहीं है.  इसके लिए किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग जगत के सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा.  यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो पोल्ट्री उद्योग पर महंगाई की मार और भी गंभीर हो सकती है.