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भारतीय रुपया पहली बार 87 डॉलर के नीचे आया, ट्रम्प के टैरिफ से एशिया की अर्थव्यस्था में तबाही

ट्रम्प के टैरिफ की वजह से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है, जिससे एशियाई देशों की मुद्राओं में गिरावट आई है. भारतीय रुपया भी इससे प्रभावित हुआ और ऐतिहासिक रूप से 87 डॉलर प्रति रुपये के नीचे गिर गया. आने वाले समय में भारतीय रुपये पर दबाव बने रहने की संभावना है, और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों पर इस असर को देखा जाएगा.

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भारत का रुपया पहली बार 87 डॉलर के नीचे गिरा है, जो भारतीय मुद्रा के लिए एक ऐतिहासिक गिरावट है. यह घटना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टैरिफ लगाए जाने के बाद एशियाई मुद्राओं और शेयर बाजारों में आई गिरावट के बीच हुई है.

अमेरिकी टैरिफ से एशियाई बाजारों में खलबली

रुपया सोमवार को 87.1450 डॉलर प्रति रुपये के स्तर तक गिर गया, जो कि अब तक का सबसे कम स्तर है. यह गिरावट पिछले शुक्रवार के मुकाबले 0.6% अधिक है. अक्टूबर के शुरुआत से अब तक रुपया लगभग 4% कमजोर हो चुका है. विशेषज्ञों का कहना है कि रुपया आने वाले कुछ हफ्तों तक दबाव में रहेगा.

आरबीएल बैंक के ट्रेजरी प्रमुख, अंशुल चंदक ने कहा, "हमारा मानना है कि अमेरिकी बाजार में ट्रम्प की नई नीतियों के कारण रुपया आगे भी कमजोर हो सकता है." उन्होंने यह भी कहा कि रुपया ने पिछले दो सालों में उभरते हुए बाजारों में एक बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन अब अमेरिकी नीतियों से और गिरावट की आशंका है.

टैरिफ का प्रभाव और वैश्विक चिंता

ट्रम्प ने शनिवार को कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाए, जिससे इन देशों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी. इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और भी बढ़ गई. मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबॉम ने कहा कि वह भी प्रतिशोधी टैरिफ लागू करेंगी.

मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा, "हमारी सबसे बड़ी चिंताओं के साकार होने का खतरा बढ़ गया है." एशिया के देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि ये देश व्यापार में बड़ी मात्रा में अमेरिकी डॉलर से जुड़े हुए हैं.

एशियाई मुद्राओं और शेयरों पर असर

टैरिफ की घोषणा के बाद, एशियाई मुद्राओं और शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई. कोरियाई वोन, मलेशियाई रिंगगिट, इंडोनेशियाई रुपिया और थाई बहट में 0.9% से लेकर 1.2% तक की गिरावट देखी गई. इस स्थिति का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा और निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया.

भारतीय बाजार पर बाहरी दबाव

भारतीय शेयर बाजार में पहले ही विदेशी निवेशकों द्वारा निकासी देखी जा रही थी, क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ रही थी. ट्रम्प के टैरिफ से वैश्विक आर्थिक मंदी का डर और बढ़ गया है, जिससे निवेशकों के लिए और अधिक चिंता का कारण बन सकता है.

अंशुल चंदक ने कहा, "यदि विदेशी निवेशकों द्वारा धन निकासी का यह सिलसिला जारी रहता है, तो भारतीय रुपये पर दबाव और बढ़ सकता है. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कम हस्तक्षेप करने से भी रुपये पर और असर पड़ सकता है."