'भारत में 12 बजे रात तक काम करने के बाद भी सम्मान नहीं', 6 महीने पहले यूरोप गई वकील के खुलासे पर क्यों मचा बवाल?
भारत में वर्क कल्चर में सुधार की जरूरत है, ताकि कर्मचारियों को सम्मान मिले और उनके जीवन में गुणवत्ता हो. यूरोप में परिस्थितियां भले ही बेहतर हों, लेकिन हर जगह की अपनी चुनौतियां होती हैं.
हाल ही में एक वकील, जो यूरोप में रहकर काम कर रही हैं. उसने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर भारत में हो रहे वर्क कल्चर को लेकर अपनी निराशा जताई है. जहां उन्होंने दोनों देशों की वर्क कल्चर का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए अपने अनुभव शेयर किए.जिसको लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म में एक नई बहस को जन्म दे दिया है.
यूरोप की एक महिला वकील ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट लिखी. जिसमें वकील ने लिखा, "मैं पिछले 6 महीने से यूरोप में हूं और अब मुझे भारत के वर्क कल्चर के प्रति नाराजगी होने लगी है. यहां आप रोज़ रात 12 बजे तक काम करते हैं, सिर्फ कुछ पैसे कमाने के लिए और फिर भी आपको व्यक्तिगत रूप से सम्मान नहीं मिलता. आपके पास खुद के लिए समय नहीं होता. हम लोग इतने सालों से इस तरह क्यों जी रहे हैं?"
महिला वकील ने भारत के वर्क कल्चर पर जताई निराशा
उन्होंने आगे कहा, "मुझे पता है कि यूरोपीय संस्कृति में भी अपनी कुछ खामियां हैं, लेकिन जब मैं सोचती हूं कि अगर भारत में सिर्फ साफ हवा, सुरक्षित सड़कें और बुनियादी सुविधाओं तक बेहतर पहुंच होती, तो भारत का जीवन कितना बेहतर हो सकता था. मैं हमेशा ब्लिंकट/जोमैटो के मुकाबले इसे प्राथमिकता दूंगी.
लोग क्या कह रहे हैं?
दरअसल, एक्स पर एक यूजर ने कहा,'दुर्भाग्य से भारत अभी भी विकासशील चरण में है और इसलिए यह लंबे समय तक ऐसा ही रहेगा. हालांकि, यूरोप वर्तमान स्थिति को बनाए रखने में सक्षम नहीं होगा और एक कठिन और अधिक प्रतिस्पर्धी माहौल का सामना करेगा.
वहीं, एक अन्य ने जवाब दिया, "हमें यूरोपीय संघ या पश्चिम में जो कुछ भी दिख रहा है, उससे हमें चौंकना नहीं चाहिए. उनकी संपत्ति सदियों की लूट, लूटपाट और क्रूर नीतियों पर बनी थी, जो किसी भी कीमत पर राष्ट्र निर्माण को प्राथमिकता देती थी. उन्होंने अपनी वर्तमान स्थिति को पाने के लिए बिना किसी दया के अपने लोगों पर सख्त कानून लागू किए. इसके अलावा एक अन्य यूजर ने कहा, "मैं लाल औपनिवेशिक अतीत की तुलना में ब्लिंकिट/जोमैटो को तरजीह दूंगा.