Indian Female demat account holders have quadrupled since 2021: कोरोना महामारी के बाद देश में महिलाओं की आर्थिक और निवेश को लेकर सोच में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. एक रिपोर्ट के अनुसार अब महिलाएं भी बड़ी संख्या में शेयर बाजार की तरफ आकर्षित हो रही हैं. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में जहां महिलाओं के नाम पर सिर्फ 67 लाख डिमैट अकाउंट थे, वहीं 2024 के अंत तक यह संख्या बढ़कर 2 करोड़ 72 लाख तक पहुंच गई है. यानी सिर्फ 3 सालों में महिलाओं के डिमैट अकाउंट की संख्या करीब 4 गुना बढ़ गई है.
कुल डिमैट अकाउंट में भी जबरदस्त इजाफा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में कुल डिमैट अकाउंट होल्डर्स की संख्या 2021 में 3.33 करोड़ थी, जो 2024 के अंत तक बढ़कर 14.3 करोड़ हो गई है. इस दौरान शेयर बाजार से भी निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिले. मार्च 2021 से दिसंबर 2024 के बीच BSE सेंसेक्स में 61 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई.
बैंकिंग और कारोबार में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
डिमैट अकाउंट ही नहीं, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है. MoSPI की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के नाम पर 39.2 प्रतिशत बैंक खाते हैं. खास बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या और भी अधिक यानी 42 प्रतिशत है.
महिला उद्यमियों की संख्या में भी इजाफा
रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में बढ़कर 26.2 प्रतिशत हो गई है. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में महिला नेतृत्व वाले कारोबार की हिस्सेदारी भी बढ़ी है.
स्टार्टअप में भी बढ़ा महिलाओं का दबदबा
DPIIT से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. 2017 में जहां सिर्फ 1,943 स्टार्टअप्स में महिला डायरेक्टर थीं, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 17,405 हो गई है.
कार्यक्षेत्र और राजनीति में भी बढ़ती भागीदारी
महिलाओं की श्रम भागीदारी दर भी 2017-18 में 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 41.7 प्रतिशत हो गई है. यही नहीं, अब महिलाएं मतदान में भी पुरुषों से आगे निकल गई हैं. 2024 के चुनावों में महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा.