menu-icon
India Daily

भारत 2030 तक इस्पात उत्पादन लक्ष्य को करेगा पार, जानें कौन है सबसे बड़ा खरीदार?

सेल के अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने बताया कि कंपनी देश में रेल की बढ़ती मांग को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है. इस दिशा में सेल ने 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ एक नई रेल मिल की स्थापना का निर्णय लिया है, जो उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देगा.

auth-image
Edited By: Ritu Sharma
Steel Production
Courtesy: Social Media

Steel Production: भारत इस्पात उत्पादन में नया इतिहास रचने की ओर बढ़ रहा है. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश के अनुसार, देश 2030 तक निर्धारित 30 करोड़ टन इस्पात उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को पार कर सकता है. उन्होंने कहा कि जब 2017 में राष्ट्रीय इस्पात नीति लागू हुई थी, तब 30 करोड़ टन का लक्ष्य अवास्तविक लग रहा था. लेकिन अब यह स्पष्ट है कि भारत न केवल इस लक्ष्य को हासिल करेगा, बल्कि इसे पार कर 33 करोड़ टन तक पहुंच सकता है.

2017 में था अविश्वास, अब नया लक्ष्य निर्धारित

आपको बता दें कि अमरेंदु प्रकाश ने बताया कि 2017 में जब इस्पात नीति बनाई गई थी, तब भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता मात्र 8 करोड़ टन थी. उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय 30 करोड़ टन का लक्ष्य असंभव लग रहा था और इसे लेकर उद्योग जगत में भी संशय था. लेकिन देश में इस्पात की बढ़ती मांग और सरकार की विकासोन्मुखी नीतियों के चलते अब यह संभव हो गया है. हाल ही में हुए एक मूल्यांकन के बाद यह तय किया गया कि 2030 तक भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता 30 करोड़ टन नहीं, बल्कि 33 करोड़ टन तक पहुंचेगी.

रेलवे से ऑर्डर का संकेत नहीं, फिर भी बड़ा निवेश

वहीं सेल चेयरमैन ने बताया कि भारतीय रेलवे इस्पात का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है. कंपनी ने रेलवे की ओर से किसी ठोस ऑर्डर का आश्वासन न मिलने के बावजूद 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 6,650 करोड़ रुपये) के निवेश से नई रेल मिल स्थापित करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के बुनियादी ढांचे से जुड़े विकास कार्यों के कारण उन्हें पूरा भरोसा है कि इस्पात की मांग में लगातार वृद्धि होगी.

रेलवे पर सेल को पूरा भरोसा

अमरेंदु प्रकाश ने कहा, ''पिछले सप्ताह हमने एक नई रेल मिल में 80 करोड़ डॉलर निवेश करने का निर्णय लिया, क्योंकि हमें भरोसा है कि अगर हम मिल स्थापित करते हैं, तो भारतीय रेलवे को हमसे इस्पात खरीदना ही होगा.'' उन्होंने बताया कि सेल देश में रेल की मांग को लेकर बेहद आशान्वित है और आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में और भी विस्तार की संभावनाएं हैं.

हालांकि, भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता में लगातार वृद्धि हो रही है और यह लक्ष्य से आगे बढ़ने की राह पर है. सरकार की नीतियां, बुनियादी ढांचे में सुधार और उद्योग जगत की भागीदारी ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है. आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक इस्पात बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाएगा.