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मिडिल क्लास के लिए आने वाली है गुड न्यूज, ईद और चैत्र नवरात्र के मौके पर RBI देगा बड़ी सौगात

इंड-रा के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, "हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में मुख्य मुद्रास्फीति घटकर 4.7 प्रतिशत रह जाएगी. वित्त वर्ष 2026 में मौद्रिक सहजता 75 आधार अंक तक सीमित रह सकती है.

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Edited By: Mayank Tiwari
भारतीय रिजर्व बैंक
Courtesy: Social Media

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने गुरुवार (27 मार्च) को कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा अगले महीने अपनी नीति समीक्षा बैठक में विकास को बढ़ावा देने के लिए बेंचमार्क ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है. इंड-रा के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, "हमारा अनुमान है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 में मुख्य मुद्रास्फीति घटकर 4.7 प्रतिशत रह जाएगी. वित्त वर्ष 2026 में मौद्रिक सहजता 75 आधार अंक तक सीमित रह सकती है.

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंड-रा ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि अगर अमेरिकी व्यापार शुल्क (टैरिफ) का असर अपेक्षा से ज्यादा होता है, तो आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में ज्यादा कटौती हो सकती है.

आरबीआई की नीति बैठकें और संभावित फैसलें

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 2025-26 के अगले फाइनेंशियल ईयर में 6 बार बैठक करेगी, जो 1 अप्रैल से शुरू होगा. जहां पहली बैठक 7-9 अप्रैल के बीच होगी. इंड-रा का अनुमान है कि आरबीआई आगामी अप्रैल 2025 की बैठक में नीति दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है.

महंगाई और नीति में बदलाव

देश में अधिक महंगाई के कारण आरबीआई ने मौद्रिक नीति को कड़ा किया था, और मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच नीति दर में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी, जिससे यह दर 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. फरवरी 2025 में, रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया गया था.

भविष्य के दृष्टिकोण

इंड-रा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे गिर सकती है, जो 21 तिमाहियों के बाद संभव होगा. इसके अलावा, इंड-रा का अनुमान है कि आरबीआई फाइनेंशियल ईयर 2026 में अधिकतम तीन बार दरों में कटौती करेगा, जिससे कुल 75 आधार अंक की कमी हो सकती है.

आरबीआई की मौद्रिक नीति में बढ़ोत्तरी पर ध्यान

फरवरी 2025 के मौद्रिक नीति समिति के मिनट्स से यह संकेत मिलता है कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि की धीमी गति को लेकर जागरूक है. यह सुझाव देता है कि जबकि कम और स्थिर महंगाई आरबीआई का मुख्य टारगेट है, मौद्रिक नीति के माध्यम से आर्थिक वृद्धि को समर्थन देना भी एक प्रमुख प्राथमिकता बनता जा रहा है.