अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 'ड्रिल, बेबी, ड्रिल' नारा, जो उनकी नीति का मुख्य हिस्सा बन गया है, भारत के लिए उत्साह का कारण बन सकता है. ट्रंप का उद्देश्य अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना है, और इसके लिए उनका फोकस तेल और गैस के उत्पादन, खपत और निर्यात में वृद्धि पर है. अमेरिका का बढ़ा हुआ तेल और गैस उत्पादन वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ कीमतों में गिरावट का कारण बनेगा, जो भारत जैसे तेल और गैस आयातक देशों के लिए फायदेमंद होगा.
भारत का तेल और गैस आयात: विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता
भारत की अधिकतर ऊर्जा जरूरतें आयात से पूरी होती हैं. इस कारण यह वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है. भारत अपनी तेल आवश्यकता का 80% और गैस की 50% जरूरत आयात से पूरा करता है. इस दौरान ट्रंप का कहना है, "महंगे मूल्य के युग को खत्म करें, आर्थिक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करें, और ऊर्जा की अधिक आपूर्ति करें ताकि आर्थिक विकास हो और सभी का भला हो.
भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत के लिए ट्रंप की नीति एक सुनहरा अवसर हो सकता है, क्योंकि इससे तेल और गैस की कीमतों में गिरावट की संभावना है. भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, "मैं दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता और आयातक देश का ऊर्जा मंत्री हूं. अमेरिका अब दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक है. यह मेरे लिए काफी उत्साहजनक है.
अमेरिका का तेल उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति का प्रभाव
अमेरिका अब दुनिया में रोजाना 13 मिलियन बैरल से अधिक तेल का उत्पादन करता है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में बदलाव ला सकता है. इससे यूरोप को खाड़ी देशों से होने वाली आपूर्ति में कमी हो सकती है, और इसके परिणामस्वरूप भारतीय रिफाइनरियों को लाभ मिल सकता है. भारत के लिए अमेरिकी तेल आयात में वृद्धि, विशेष रूप से रूस के कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते, एक लाभकारी विकल्प हो सकता है.
रूस का प्रभाव: भविष्य की उम्मीदें
हालांकि, रूस का मुद्दा अभी भी वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रमुख है. ट्रंप के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संबंधों में गर्माहट से यह संभावना बनती है कि युद्ध का अंत हो सकता है. यदि ऐसा होता है, तो भारत को वैश्विक बाजार में अधिक तेल उपलब्ध होगा, जो उसकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा.