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India Daily

भारत ने ढूंढ ली ट्रंप के घातक टैरिफ की काट, अमेरिका के साथ जल्द हो सकती है ये ऐतिहासिक डील

भारत और अमेरिका "मिशन 500" के तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. यह लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान तय किया गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
India america trade agreement to reduce losses caused by Donald Trumps reciprocal tariff

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की बातचीत से भारत को ट्रम्प प्रशासन के नए टैरिफ से घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने में पहली बढ़त मिलेगी. 5 अप्रैल को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "हम एकमात्र देश हैं, जिसके साथ अमेरिका व्यापार समझौते पर बात कर रहा है. टैरिफ अभी बढ़ सकते हैं, लेकिन बाद में कम होंगे. यह समझौता तभी होगा, जब दोनों देशों को आपसी लाभ मिले."

'मिशन 500' का लक्ष्य

भारत और अमेरिका "मिशन 500" के तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. यह लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान तय किया गया. दोनों देश इस साल शरद ऋतु तक बहु-क्षेत्रीय बीटीए के पहले चरण पर सहमति चाहते हैं. 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 190.08 अरब डॉलर रहा.

ट्रम्प के टैरिफ और भारत की रणनीति
ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर 26% का पारस्परिक टैरिफ लगाया है, लेकिन अधिकारी ने बताया कि भारत कार्यकारी आदेश की धारा 4सी के तहत छूट की बातचीत कर सकता है. धारा 4सी कहती है, "यदि कोई व्यापारिक साझेदार गैर-पारस्परिक व्यापार को ठीक करने के लिए कदम उठाता है और आर्थिक व राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में अमेरिका के साथ तालमेल बिठाता है, तो मैं इस आदेश के तहत टैरिफ को कम या सीमित कर सकता हूं." अधिकारी ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक व्यापार में हलचल मची, लेकिन भारत एशियाई देशों में विजेता बनकर उभरा.

वैश्विक रुचि और भारत
अधिकारी ने बताया, "अमेरिका के टैरिफ कदम के बाद कई देश भारत के साथ व्यापार समझौतों के लिए संपर्क कर रहे हैं." भारत सात देशों और समूहों, जैसे यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहा है. बहरीन, कतर और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने भी रुचि दिखाई है.

निर्यातकों के साथ संवाद
अधिकारी ने कहा, "हम निर्यातकों से संपर्क में हैं और जरूरत पड़ने पर मदद करेंगे. ऊर्जा कीमतें कम रहने से अमेरिका में मांग पर बड़ा असर नहीं होगा."