अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) अब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झटका देने की स्थिति में हैं. टैरिफ लागू होने के तीन सप्ताह बाद वैश्विक स्तर पर इसके शुरुआती प्रभाव दिखने लगे हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत कई वैश्विक संस्थाएं अब अपने आर्थिक विकास के पूर्वानुमानों में कटौती करने की तैयारी में हैं.
IMF का चेतावनी भरा पूर्वानुमान
वॉशिंगटन डीसी में स्थित IMF जल्द ही अपने नए वैश्विक आर्थिक पूर्वानुमान जारी करेगा, जिसमें विकास दर में गिरावट का अनुमान है. IMF प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा ने संकेत दिया है कि अर्थव्यवस्था में मंदी नहीं होगी, लेकिन विकास दर में स्पष्ट गिरावट देखी जा सकती है. साथ ही, कई देशों में महंगाई दर में इजाफा होने की भी संभावना जताई गई है.
अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों में जारी व्यापारिक सर्वेक्षणों और पीएमआई रिपोर्ट्स से पहली बार इस टैरिफ नीति का सामूहिक असर देखने को मिलेगा. इन रिपोर्ट्स से यह अंदाज़ा लगाया जा सकेगा कि ट्रम्प की नीतियों का निर्माण और सेवा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है.
अस्थिरता बनी चिंता का कारण
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल का कहना है कि मौद्रिक नीति में बदलाव से पहले स्थिति को और स्पष्ट होने दिया जाएगा. यूरोपीय सेंट्रल बैंक की प्रमुख क्रिस्टीन लगार्ड ने भी यही कहा कि मौजूदा अनिश्चितता अभी अपने चरम पर नहीं पहुंची है.
एशिया की स्थिति और प्रतिक्रियाएं
एशियाई देशों में भी टैरिफ का असर महसूस किया जा रहा है. जापान ने अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर वार्ता शुरू कर दी है, जबकि दक्षिण कोरिया भी छूट की उम्मीद में बातचीत की तैयारी कर रहा है. चीन, भारत, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों की रिपोर्ट्स भी इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि व्यापार और उपभोक्ता विश्वास पर असर पड़ा है.
यूरोप में भी घटी आर्थिक उम्मीदें
यूरोप में उपभोक्ता विश्वास और उत्पादन क्षेत्र से जुड़े डेटा इस बात की पुष्टि करते हैं कि टैरिफ का असर व्यापार गतिविधियों पर पड़ा है. जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में कारोबारी विश्वास में कमी देखी गई है. ECB की रिपोर्ट के अनुसार वेतन वृद्धि की गति भी धीमी पड़ी है.
अमेरिका और कनाडा में भी हलचल
अमेरिका में उपभोक्ता भावना और महंगाई की उम्मीदों पर निगाह रखी जा रही है. बीते कुछ महीनों से लोग टैरिफ के असर को लेकर चिंतित हैं. वहीं, कनाडा में सरकार और व्यापार नीति को लेकर अस्थिरता बनी हुई है. चुनाव के दौर में व्यापार नीति एक बड़ा मुद्दा बन गया है.