गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा वित्तीय घोटाला, बैंक ऑफ इंडिया ने किया खुलासा

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने ओडिशा स्थित गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा की गई 226.84 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी की सूचना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दी है. बैंक ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी द्वारा लिया गया कर्ज गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया है और इसे धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा गया है.

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने ओडिशा स्थित गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ बड़ा खुलासा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 226.84 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी की जानकारी दी है.

बैंक ने बताया कि यह कर्ज गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में आ चुका है और इसे धोखाधड़ी घोषित किया गया है.

शेयर बाजार को भेजी गई आधिकारिक जानकारी

बीओआई ने शुक्रवार को शेयर बाजार को दी गई जानकारी में कहा कि 'गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का खाता एनपीए में बदल चुका है और इसे बैंकिंग नियामकों के दिशानिर्देशों के तहत धोखाधड़ी करार दिया गया है.'

बैंक ने स्पष्ट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक को नियमानुसार इस धोखाधड़ी की जानकारी दी गई है, लेकिन अब तक यह साफ नहीं किया गया है कि आगे क्या कानूनी कार्रवाई की जाएगी या कंपनी के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे.

बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते धोखाधड़ी के मामले

हाल के वर्षों में बैंकों में बड़े वित्तीय घोटाले बढ़ते जा रहे हैं. सरकारी और निजी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों को कर्ज देने से पहले कंपनियों की वित्तीय स्थिति की गहन जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके.

बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लगातार नियमों को सख्त कर रहा है. इसके बावजूद, बैंकों को चूना लगाने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्राहकों और निवेशकों का भरोसा कमजोर हो रहा है.  

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

इस धोखाधड़ी के खुलासे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि बैंकिंग नियामक संस्थाएं और प्रवर्तन एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं. अगर गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह बैंकिंग सेक्टर के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकता है. इससे अन्य कंपनियों को भी ऐसे गलत तरीकों को अपनाने का हौसला मिल सकता है.

बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और आरबीआई को इस तरह के मामलों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि वित्तीय संस्थानों की साख बनी रहे और भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी की संभावनाओं को रोका जा सके. 

गुप्ता पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा की गई इस धोखाधड़ी से बैंकिंग प्रणाली की कमजोरियां उजागर हुई हैं. आरबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा.

बैंकों को भी अपनी लोन अप्रूवल प्रक्रिया को और मजबूत करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और देश की बैंकिंग प्रणाली पर जनता का भरोसा बना रहे.