सोने की कीमतों ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं, जिससे यह एक बार फिर से निवेशकों और आम आदमी के बीच चर्चा का विषय बन गया है. वैश्विक आर्थिक संकट और व्यापारिक तनावों के बीच सोने की कीमतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, जो अब आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है. वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया और सोमवार को रुपये में कमजोरी के कारण मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर पीली धातु की कीमत करीब 84,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई. मुंबई के भौतिक सर्राफा बाजार में, कीमत 82,500 रुपये के स्तर के आसपास रही. एक्सचेंज और भौतिक बाजारों के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में कीमती धातु के लिए ये अब तक के सबसे ऊंचे स्तर हैं. डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद से सोने की कीमतों में उछाल आया है.
वर्तमान में सोने की कीमत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में $2,730 (20 जनवरी) से बढ़कर $2,864 प्रति औंस (सोमवार को) तक का रिकॉर्ड बना लिया है, जो लगभग 5% की वृद्धि दर्शाता है. इस उछाल का मुख्य कारण वैश्विक व्यापारिक अस्थिरता और विभिन्न देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक विवादों के कारण पैदा हुआ आर्थिक संकट है.
आर्थिक अस्थिरता और सोने की बढ़ती मांग
एंजल वन के ब्रोकरेज फर्म के प्रथमेश मल्ल्या के अनुसार, सोने को हमेशा आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के दौरान एक सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है. हाल के महीनों में, अमेरिका और चीन, मेक्सिको और कनाडा के बीच व्यापारिक युद्ध ने वैश्विक बाजार में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है. इसके परिणामस्वरूप सोने की मांग में वृद्धि हुई है, क्योंकि निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं.
अमेरिकी नीति और सोने की बढ़ती कीमत
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि ब्याज दरों में कोई जल्दी नहीं की जाएगी, जो पहले राष्ट्रपति ट्रम्प की अपेक्षाओं से विपरीत था. इस नीति से भी सोने की कीमतों में वृद्धि को बल मिला है, क्योंकि यह स्थिति डॉलर को कमजोर कर रही है और निवेशकों को सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करने की प्रेरणा दे रही है.
व्यापारिक टैरिफ और वैश्विक प्रभाव
अमेरिका द्वारा मेक्सिको और कनाडा से आयातित सामान पर 25% टैरिफ और चीन से आयातित सामान पर 10% टैरिफ लगाने का निर्णय भी सोने की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण है. इन देशों के खिलाफ टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद, इन देशों ने जवाबी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिससे वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और अनिश्चितता और बढ़ गई है. हालांकि कुछ समय के लिए अमेरिका ने कनाडा और मेक्सिको पर ट्रैफिक लगाने के फैसले पर रोक लगा दी है.