BluSmart Crisis: भारत की पॉपुलर राइड-हेलिंग स्टार्टअप BluSmart अब मुश्किल समय से गुजर रही है. कंपनी के को-फाउंडर अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई पुनित सिंह जग्गी पर पैसों के हेराफेरी के आरोप लगे हैं, जिसके कारण BluSmart की कैब सर्विस अस्थायी रूप से बंद कर दी गई है. यह कंपनी अब SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की जांच के घेरे में है और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
कंपनी के दोनों को-फाउंडर ने अपनी कंपनी Gensol Engineering के नाम पर लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल किया. आरोप है कि इस पैसे को लग्जरी चीजों पर खर्च किया गया जैसे फ्लैट, गोल्फ किट और ट्रैवेलिंग पर, जिसकी कुल राशि 262 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है. इस मामले में SEBI ने जांच शुरू कर दी है और इन दोनों को किसी भी कंपनी के मैनेजमेंट से रोक दिया है. साथ ही, इन पर मार्केट में एंट्री करने पर भी बैन लगा दिया गया है.
BluSmart को उसकी पूरी इलेक्ट्रिक फ्लिट और ग्रीन बिजनेस मॉडल के लिए जाना जाता था. इस वजह से इसमें कई बड़े-बड़े निवेशकों ने पैसा इंवेस्ट किया था. इनमें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, और शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर जैसे नामी लोग शामिल हैं.
BluSmart को शुरुआत में बहुत बड़े निवेशकों का समर्थन मिला था. 2019 में दीपिका पादुकोण के फैमिली ऑफिस, बजाज, और JITO एंजल नेटवर्क ने 3 मिलियन डॉलर की एंजल फंडिंग में निवेश किया था. इसके बाद, धोनी और दीपिका के परिवारों ने कंपनी की वित्तीय ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण निवेश किए थे, जिसमें जुलाई 2024 में बड़ा निवेश राउंड भी शामिल था.
ब्लूस्मार्ट ने 2024 में प्री-सीरीज B राउंड में 24 मिलियन डॉलर जुटाए थे. इस दौर में धोनी के पारिवारिक कार्यालय, रिन्यू पावर के CEO सुमंत सिन्हा, और स्विस एसेट मैनेजर Responsibility Investments ने निवेश किया था. यह निवेश कंपनी के भविष्य को लेकर उच्च निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है.
शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर ने इस संकट पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से BluSmart में 1.5 करोड़ रुपये और मैट्रिक्स में 25 लाख रुपये का निवेश किया है. उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर दुख जताया और उम्मीद जताई कि कंपनी अपने संकट से उबर सकेगी.
हालांकि BluSmart औपचारिक रूप से Gensol की सहायक कंपनी नहीं है, लेकिन दोनों कंपनियों के बीच वित्तीय रिश्ते बहुत गहरे हैं. दोनों के बीच 148 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ है, जो अब SEBI की जांच के दायरे में है. BluSmart का भविष्य अब संदेह के घेरे में है और इसके निवेशकों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है.