चीन से बोल्ट, नट जैसे उत्पादों के आयात पर अब नहीं होगी डंपिंग रोधी जांच, DGTR ने लिया फैसला
डीजीटीआर का यह निर्णय व्यापार और उद्योग के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. चीन से आयात किए जाने वाले फास्टनर उत्पादों पर अब कोई अतिरिक्त डंपिंग शुल्क नहीं लगेगा, जिससे निर्माण और वाहन उद्योगों को आर्थिक रूप से लाभ होगा, लेकिन घरेलू निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा.
वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई निदेशालय सामान्य व्यापार उपाय (डीजीटीआर) ने चीन से आयात किए जाने वाले फास्टनर उत्पादों पर डंपिंग रोधी जांच को समाप्त करने का निर्णय लिया है.
यह उत्पाद निर्माण, वाहन, इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं.
किन उत्पादों पर थी जांच?
फास्टनर उत्पादों की श्रेणी में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं शामिल होती हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं;
- बोल्ट, स्क्रू और नट– निर्माण और ऑटोमोबाइल उद्योग में अहम भूमिका निभाने वाले उत्पाद.
- कंक्रीट कील और औद्योगिक स्टेपल पिन – मजबूत पकड़ और स्थायित्व प्रदान करने वाले तत्व.
- स्टील स्ट्रैपिंग सील और प्लास्टिक स्ट्रिप कील – पैकेजिंग और असेंबली कार्यों में उपयोगी.
- केबल क्लिप – विद्युत और संचार क्षेत्रों में आवश्यक उत्पाद.
जांच क्यों हुई और क्यों समाप्त की गई?
भारत में विभिन्न उद्योगों द्वारा यह शिकायत की गई थी कि चीन से कम कीमतों पर ये उत्पाद आयात किए जा रहे हैं, जिससे घरेलू उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. इसके चलते डीजीटीआर ने डंपिंग की संभावना की जांच शुरू की थी.
हालांकि, विस्तृत समीक्षा और बाजार अध्ययन के बाद यह पाया गया कि वर्तमान में इन उत्पादों के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की आवश्यकता नहीं है. जांच के निष्कर्षों के आधार पर डीजीटीआर ने इस जांच को बंद करने का फैसला लिया.
क्या होगा भारत के उद्योगों पर प्रभाव?
- घरेलू उत्पादकों के लिए चुनौती: भारतीय फास्टनर निर्माताओं को अब चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा.
- उद्योगों को राहत: निर्माण, ऑटोमोबाइल और अन्य क्षेत्रों को कम लागत पर आयातित उत्पाद मिलेंगे, जिससे उत्पादन लागत में कमी आएगी.
- आयात निर्भरता बढ़ेगी: भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है, जिससे घरेलू उद्योगों को अपनी रणनीति बदलनी होगी.
सरकार की अगली रणनीति क्या हो सकती है?
हालांकि डीजीटीआर ने जांच समाप्त कर दी है, लेकिन सरकार भविष्य में स्थिति का आकलन करती रहेगी. यदि घरेलू उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, तो दोबारा जांच या शुल्क लगाने पर विचार किया जा सकता है.