US-China trade war: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर 34% टैरिफ लगाए जाने के कुछ ही दिन बाद चीन ने भी जवाबी हमला करते हुए 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके चलते वॉल स्ट्रीट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
बता दें कि S&P 500 इंडेक्स में 6% की गिरावट आई, जबकि डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 2,231 अंकों (5.5%) तक लुढ़क गया. वहीं, टेक कंपनियों से भरे नैस्डैक कंपोजिट में 5.8% की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर के उच्चतम स्तर से 20% नीचे आ गया.
सकारात्मक जॉब डेटा भी नहीं रोक सका गिरावट
हालांकि, अमेरिकी लेबर डिपार्टमेंट ने शुक्रवार सुबह उम्मीद से बेहतर नौकरियों के आंकड़े जारी किए, लेकिन बाजार पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा. निवेशकों का फोकस पूरी तरह अमेरिका-चीन के व्यापारिक टकराव पर रहा.
कॉर्पोरेट सेक्टर को लगा झटका
बताते चले कि S&P 500 की 500 कंपनियों में से सिर्फ 14 ही दिन के अंत में हरे निशान पर रहीं. चीन पर निर्भर बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को खासा नुकसान झेलना पड़ा. ड्यूपॉन्ट के शेयर 12.7% गिरे, वहीं GE हेल्थकेयर में 16% की गिरावट आई. चीन में एंटीट्रस्ट जांच शुरू होने से इन कंपनियों पर दबाव बढ़ा है.
कमोडिटी बाजार भी पस्त
कच्चे तेल की कीमतें 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गईं, जबकि तांबे जैसी धातुओं की कीमतों में भी तेज गिरावट आई. इससे वैश्विक मांग कमजोर होने की आशंका और गहरी हो गई.
फेड चेयर पॉवेल की सख्त चेतावनी
फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने चेतावनी दी कि टैरिफ से महंगाई और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा, “हमारा दायित्व है कि दीर्घकालिक मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर बनाए रखें.” उन्होंने संकेत दिया कि बाजार पर दबाव के बावजूद ब्याज दरों में जल्दबाजी से कटौती नहीं की जाएगी.
ट्रंप का दावा - 'अमीर बनने का अच्छा वक्त'
वहीं, ट्रंप ने मार-ए-लागो से ट्रुथ सोशल पर लिखा, ''चीन ने गलत खेल खेला, वे घबरा गए... यह अमीर बनने का बढ़िया समय है.'' उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए टैरिफ कम हो सकते हैं और वियतनाम को सहयोगी देश के रूप में पेश किया.
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी असर
जर्मनी का DAX 5%, फ्रांस का CAC 40 4.3%, और जापान का निक्केई 225 2.8% गिरा.
शुक्रवार को बाजार का हाल -
अब बाजार की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि टैरिफ का टकराव कितनी जल्दी सुलझता है, और क्या दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार होंगे.