Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार 3.O का दूसरा बजट 1 फरवरी को पेश करने वाली हैं. इस बजट से मिडिल क्लास लोगों की कई उम्मीदें जुड़ी हैं. वहीं वेतन पाने वाले लोगों को भी इस बजट से कुछ खास उम्मीदें है. बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह माना जा रहा है कि आने वाला बजट वित्तीय बोझ को कम करेगा और डिस्पोजेबल आय को बढ़ाने में मदद करेगा.
बजट 2025 से सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक टैक्स दरों में राहत पाना है. वेतन भोगियों में तर्कसंगत टैक्स स्लैब की मांग है. जिससे की सालाना 15 लाख रुपये तक कमाने वाले वेतनभोगी को रात मिल सकती है. व्यक्ति विशेष रूप से पुरानी और नई दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत कटौती के लिए आशान्वित हैं.
इसके अलावाटैक्स फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना और संबंधित लागतों को कम करने के उपाय पेश करना एक स्वागत योग्य कदम होगा. कई लोगों का मानना है कि इस तरह के सुधार कर प्रणाली में विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं. नई कर व्यवस्था सभी आय समूहों के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती प्रदान करती है. इसमें सुधार की गुंजाइश है. इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, आवास ऋण और जीवन बीमा जैसे उचित छूट की अनुमति देने से नई व्यवस्था पुरानी व्यवस्था के मुकाबले अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी बन सकती है.
जीवन यापन की बढ़ती लागत विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में वेतनभोगी व्यक्तियों पर भारी दबाव डाल रही है. पुरानी कर व्यवस्था में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) के तहत अधिक छूट की मांग की जा रही है. वर्तमान में छूट की गणना वास्तविक प्राप्त एचआरए, मेट्रो निवासियों के लिए मूल वेतन का 50% (गैर-मेट्रो के लिए 40%) या मूल वेतन के 10% से कम भुगतान किए गए किराए में से सबसे कम के रूप में की जाती है. इन सीमाओं को बढ़ाने से उच्च किराये के खर्चों से जूझ रहे लोगों को काफी राहत मिल सकती है. इसी तरह, धारा 24(बी) के तहत आवास ऋण पर ब्याज की कटौती सीमा, जो वर्तमान में 2 लाख रुपये है, में वृद्धि की लंबे समय से मांग थी. उच्च सीमा से न केवल वित्तीय दबाव कम होगा, बल्कि यह सरकार के सभी के लिए आवास के लक्ष्य के साथ भी संरेखित होगा. जो मध्यम आय वाले परिवारों के बीच घर के स्वामित्व को प्रोत्साहित करेगा.
मुद्रास्फीति और बढ़ती लागतों के बावजूद, धारा 80सी के तहत कटौती के लिए 1.5 लाख रुपये की वर्तमान सीमा वर्षों से अपरिवर्तित बनी हुई है. वेतनभोगी वर्ग को उम्मीद है कि इस सीमा को बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख रुपये किया जाएगा. यह कदम सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) जैसे साधनों में अधिक निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है. जिससे दीर्घकालिक बचत और वित्तीय सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा.
वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए भविष्य निधि योगदान सेवानिवृत्ति योजना का एक अनिवार्य हिस्सा है. हालांकि, 2.5 लाख रुपये से अधिक के कर्मचारी योगदान पर अर्जित ब्याज की कर योग्यता 2021 में इसकी शुरूआत के बाद से विवाद का विषय रही है. इस सीमा को ऊपर की ओर संशोधित करने से भविष्य निधि योजनाओं में अधिक योगदान को बढ़ावा मिलेगा. जिससे सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी.