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Budget 2025: क्या फिर से लौटेगी किफायती आवास सब्सिडी? जानें एक्सपर्ट्स की राय

बजट 2025 की घोषणा में अब कुछ ही समय शेष है. रियल एस्टेट के विशेषज्ञों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह किफायती आवास योजनाओं को पुनर्जीवित करे और मध्यम वर्ग को सहायता प्रदान करने के लिए कर छूट में वृद्धि करे, ताकि आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके.

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Edited By: Ritu Sharma
Budget 2025
Courtesy: Budget 2025

Budget 2025: बजट 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञ सरकार से किफायती आवास को पुनर्जीवित करने और मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदने को और आसान बनाने की मांग कर रहे हैं. जहां एक ओर लग्जरी हाउसिंग मार्केट में तेजी जारी है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ₹60 लाख से ₹1 करोड़ के बीच की कीमत वाले घरों की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.

क्या फिर से शुरू होगी किफायती आवास सब्सिडी?

रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) को दोबारा शुरू करना चाहिए. इसके अलावा, होम लोन पर कर छूट बढ़ाने और आय एवं ऋण पात्रता मानदंडों में बदलाव करने की आवश्यकता है, जिससे अधिक लोगों को घर खरीदने का अवसर मिल सके.

₹45 लाख से कम के घरों की मांग में कमी

महामारी के बाद ₹45 लाख से कम कीमत वाले घरों की मांग और आपूर्ति में भारी गिरावट देखी गई है. इसकी एक मुख्य वजह शहरी इलाकों में भूमि की उपलब्धता की कमी है, जहां किफायती आवास की सबसे ज्यादा जरूरत है. सरकार अगर भारतीय रेलवे, पोर्ट ट्रस्ट और भारी उद्योग विभाग द्वारा नियंत्रित केंद्रीय भूमि को रिहायशी इस्तेमाल के लिए जारी कर दे, तो इस समस्या का समाधान हो सकता है.

आंकड़े क्या कहते हैं?

एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में किफायती आवास की बिक्री हिस्सेदारी 38% थी, जो 2024 में घटकर सिर्फ 18% रह गई. इसी तरह, शीर्ष सात शहरों में नई आवासीय आपूर्ति में भी किफायती घरों की हिस्सेदारी 40% से गिरकर 16% हो गई है.

बदलाव की जरूरत - कीमत और आकार के मानदंडों में संशोधन जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में किफायती आवास के लिए 60 वर्ग मीटर कालीन क्षेत्र का मानक सही है, लेकिन ₹45 लाख की अधिकतम सीमा बड़े शहरों में अप्रासंगिक हो चुकी है. मुंबई में यह सीमा ₹85 लाख और अन्य मेट्रो शहरों में ₹60-65 लाख होनी चाहिए, जिससे अधिक प्रॉपर्टी इस कैटेगरी में आएं और कम जीएसटी (1%) तथा अन्य सब्सिडी का लाभ मिल सके.

रियल एस्टेट बाजार को क्या चाहिए?

एनारॉक रिसर्च के अनुसार, 2024 में आम और राज्य चुनावों के चलते रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी रही. शीर्ष सात शहरों में घरों की बिक्री 4% घटकर 4.46 लाख यूनिट और नए लॉन्च 7% घटकर 4.13 लाख यूनिट रह गए. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार सही कदम उठाए तो 2025 में यह सेक्टर फिर से उछाल पकड़ सकता है.

PMAY योजना के तहत सुधार की मांग

आपको बता दें कि नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू का कहना है, ''सरकार को पीएमएवाई के तहत 5% की निश्चित ब्याज दर लागू करने पर विचार करना चाहिए, जिससे लोग आसानी से बड़े होम लोन ले सकें और किफायती घरों में निवेश बढ़े.'' सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने सुझाव दिया कि सरकार को CLSS स्कीम को पुनर्जीवित करना चाहिए और SEZ की तरह किफायती आवास क्षेत्र को प्रोत्साहन देना चाहिए.

क्या हो सकते हैं बजट 2025 में सुधार?

  1. आयकर में छूट बढ़ाई जाए – धारा 80C के तहत होम लोन मूलधन पर कटौती की सीमा बढ़ाई जाए और धारा 24 में ब्याज पर छूट ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की जाए.
  2. किफायती आवास की परिभाषा बदली जाए – बढ़ती कीमतों को देखते हुए कीमत सीमा को ₹45 लाख से ₹60 लाख किया जाए.
  3. पूंजीगत लाभ कर में बदलाव – रियल एस्टेट निवेश को बढ़ाने के लिए कैपिटल गेन टैक्स पर ₹10 करोड़ की सीमा को हटाया जाए.
  4. GST में राहत – किफायती घरों पर कम GST दर जारी रखी जाए, जिससे अधिक खरीदार आकर्षित हों.

PMAY के तहत हुए अब तक के काम

बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की शुरुआत 2015 में हुई थी. अब तक 118.64 लाख घरों को मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें से 90.22 लाख घर पूरे हो चुके हैं और 112.50 लाख निर्माणाधीन हैं. सरकार ने इस योजना के लिए ₹2 लाख करोड़ की केंद्रीय सहायता दी है.

हालांकि बजट 2025 से रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी उम्मीदें हैं. अगर सरकार किफायती आवास को फिर से बढ़ावा देती है और कर राहत देती है, तो मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना आसान हो जाएगा और रियल एस्टेट मार्केट में तेजी आएगी.