जब देश में पहली बार पेश हुआ था Black Budget, जानें क्या है इस नाम के पीछे का मतलब?
आज़ाद भारत के इतिहास में केवल एक बार ब्लैक बजट प्रस्तुत किया गया है. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण बढ़ते खर्चों ने आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे देश की वित्तीय स्थिति में भारी गिरावट आई.
Union Budget 2025: भारत के आर्थिक इतिहास में अब तक केवल एक बार ब्लैक बजट (Black Budget) पेश किया गया है. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देश की आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में थी, जिसके चलते तत्कालीन सरकार को यह कदम उठाना पड़ा. इस बजट की घोषणा उस समय के वित्त मंत्री यशवंत राव बी. चव्हाण ने की थी.
ब्लैक बजट क्या होता है?
ब्लैक बजट वह होता है, जब सरकार की आय और व्यय में असंतुलन पैदा हो जाता है और उसे अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है. उदाहरण के लिए, यदि सरकार की कुल आय 500 रुपये हो और खर्च 550 रुपये तक पहुंच जाए, तो इसे पूरा करने के लिए सरकार को बजट में घाटा दिखाना पड़ता है, जिसे ब्लैक बजट कहा जाता है. भारत में अब तक केवल 1973 में ही ब्लैक बजट पेश किया गया था, जब देश की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी और सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धन नहीं था.
1973 में ब्लैक बजट की जरूरत क्यों पड़ी?
आपको बता दें कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण सरकार के खर्चों में अचानक भारी वृद्धि हुई. इसके अलावा, 1973 में देश में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ. इन चुनौतियों के कारण सरकार की आमदनी घट गई और खर्च काफी बढ़ गया. इस स्थिति को संभालने के लिए इंदिरा गांधी सरकार को ब्लैक बजट पेश करने की नौबत आ गई.
ब्लैक बजट में क्या प्रावधान किए गए थे?
1973 के ब्लैक बजट में सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:-
- सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइंस के राष्ट्रीयकरण की घोषणा.
- इसके लिए सरकार ने 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया.
- बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया.
भारत में बजट के अन्य प्रकार
आमतौर पर भारत में तीन प्रमुख प्रकार के बजट पेश किए जाते -
- आम बजट: इसे संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत पेश किया जाता है और यह हर वित्तीय वर्ष में पेश किया जाने वाला मुख्य बजट होता है.
- अंतरिम बजट: इसे संविधान के अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है और आम चुनाव के वर्ष में लाया जाता है. इसमें सरकार कोई नीतिगत बदलाव नहीं करती और न ही कोई नया कर लगाती है.
- ब्लैक बजट: यह असाधारण परिस्थितियों में पेश किया जाता है, जब सरकार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है.
हालांकि, 1973 में पेश किया गया ब्लैक बजट भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. यह एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है, जब देश को भारी आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ा और सरकार को खर्चों में भारी कटौती करनी पड़ी. वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, लेकिन ब्लैक बजट जैसी परिस्थितियों से बचने के लिए वित्तीय संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है.