Budget 2025: भारत सरकार के हालिया बजट में उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं. इन उपायों में व्यक्तिगत आयकर में बदलाव, अप्रत्यक्ष करों में कटौती और सार्वजनिक निवेश पर जोर देना शामिल है. ये उपाय उपभोक्ताओं के लिए वित्तीय लाभ लेकर आएंगे, जिससे मांग और अर्थव्यवस्था में सक्रियता बढ़ेगी.
आयकर में बदलाव का तत्काल प्रभाव
आयकर में किए गए परिवर्तनों का तत्काल प्रभाव देखने को मिलेगा, जिससे करदाताओं के हाथों में अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये आएंगे. यह आयकर संग्रह का लगभग 10 प्रतिशत है. इसका मतलब यह है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2026 में उपभोक्ताओं को 1 लाख करोड़ रुपये वापस किए हैं. हालांकि, उपभोक्ताओं के हाथों में अतिरिक्त आय 80,000 रुपये से कम हो सकती है, फिर भी इससे उनकी कर-बाद की सैलरी में वृद्धि होगी.
अप्रत्यक्ष करों में बदलाव और मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी में कमी
उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के लिए अप्रत्यक्ष करों में भी बदलाव किए गए हैं, विशेष रूप से मोबाइल फोन इनपुट्स पर कस्टम ड्यूटी में कमी आई है. इससे न केवल अधिक खरीदारी होगी, बल्कि प्रीमियम उत्पादों की ओर रुझान भी तेज होगा.
शेयर बाजार पर पॉजिटिव प्रभाव
करदाताओं के हाथ में अधिक पैसा आने के साथ ही शेयर बाजार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर और बिस्किट निर्माता ब्रिटानिया के शेयरों में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई, जबकि बीएसई सेंसेक्स में मामूली वृद्धि हुई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयकर में बदलाव से 1 लाख करोड़ रुपये की तत्काल राजस्व हानि होगी, लेकिन उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से सरकार को जीएसटी के रूप में कुछ रिवर्स फ्लो मिल जाएगा.
सार्वजनिक निवेश से अर्थव्यवस्था में सक्रियता
सार्वजनिक निवेश पर जोर देने के कारण आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी. सरकार ने राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपये का 50 सालों के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रस्ताव किया है, जिसका उद्देश्य पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है. इसके अलावा, पिछले कुछ सालों से ऐसी योजनाओं के चलते पहले से ही कई परियोजनाओं का खाका तैयार है, जिससे उपभोक्ता खर्च में और अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी.
निजी उपभोक्तावादी खपत में तेजी का प्रभाव
इस बजट का प्रमुख उद्देश्य निजी उपभोक्तावादी खपत को बढ़ाना है, जो वित्तीय वर्ष 2025 में तेज़ी से बढ़ी. निजी खपत, जो भारतीय जीडीपी का लगभग 56-60 प्रतिशत हिस्सा बनाती है, देश की अर्थव्यवस्था का अहम आधार है. इसके परिणामस्वरूप, समग्र अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है.