Budget 2025: आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार तीसरे टर्म का दूसरा बजट पेश करेगी. यह बजट खास तौर से जरूरी माना जा रहा है, क्योंकि इसका प्रभाव न केवल आम लोगों, बल्कि देश की पूरी इकोनॉमी पर भी पड़ेगा. आगामी बजट से देश की आर्थिक दिशा और स्थिति का स्पष्ट खाका सामने आएगा, और इसके अलावा, सियासी हलचल भी इस सत्र में देखने को मिल सकती है.
बजट सत्र केवल आर्थिक मामलों पर ही नहीं, बल्कि राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है. जून 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद, जब BJP का आंकड़ा बहुमत से नीचे गिरा था, तो यह माना जा रहा था कि मोदी सरकार के लिए अगले पांच साल मुश्किल हो सकते हैं. लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जीत के बाद, NDA ने वापसी की और विपक्ष को बैकफुट पर डाल दिया. अब यह बजट सत्र ऐसे समय में हो रहा है, जब कई प्रमुख क्षेत्रीय दलों में उठापठक हो रही है, जैसे उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की NCP में चल रही राजनीतिक हलचलें. इन दलों के सांसदों का एकजुट रहना या बिखरना इस सत्र के दौरान अहम साबित हो सकता है.
राज्यसभा में भी हाल के दिनों में कुछ सांसदों ने अपनी पार्टियों को छोड़ दिया है, और सूत्रों के अनुसार, इस दौरान कुछ और सांसद भी पार्टी बदल सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो राज्यसभा का पूरा समीकरण बदल जाएगा और BJP वहां भी और अधिक मजबूत हो जाएगी. इसके साथ ही, इस बजट सत्र में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वक्फ बिल कैसे पेश किया जाएगा. NDA सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस बिल को इस सत्र में पास करवाएगी और उसके पास दोनों सदनों में इसके लिए पर्याप्त संख्या है. हालांकि, TDP और JDU जैसी सहयोगी पार्टियों ने इस बिल के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताई थी, लेकिन अब ये दल सरकार के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं, जिससे विपक्ष के लिए इस मुद्दे पर कोई ठोस रुख अपनाना मुश्किल हो सकता है.
इस बार का बजट खास तौर से मिडल क्लास के लिए अहम हो सकता है, क्योंकि हाल के सालों में इस वर्ग को उपेक्षित महसूस हुआ है. इस बार मिडल क्लास ने सरकार पर दबाव बना दिया है और उम्मीद जताई है कि बजट में उन्हें राहत दी जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि BJP अपने सबसे मजबूत समर्थक वर्ग को नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं उठाएगी, इसलिए इस वर्ग के लिए एक बड़ा पैकेज सामने आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो BJP और केंद्र सरकार इस वर्ग के बीच अपनी पकड़ को मजबूत कर सकती है, जो देश में नैरेटिव बनाने में एक अहम किरदार निभाता है.
मिडल क्लास की प्रतिक्रिया इस बार की बजट पर खासतौर पर निगरानी में होगी. अगर बजट उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, तो इसके परिणाम सियासी रूप से भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं. सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में मिडल क्लास की चिंताओं पर बात हो सकती है, जो इस वर्ग की बढ़ती बेचैनी को दर्शाता है. मिडल क्लास अब ठोस राहत की मांग कर रहा है और अगर सरकार इसे पूरा करती है, तो यह भाजपा और मोदी सरकार के लिए एक बड़ा सियासी बढ़त हो सकती है.
हालांकि NDA इस सत्र में सियासी रूप से मजबूत नजर आ रही है, लेकिन उसके सामने नई चुनौतियां भी हैं. पिछले कुछ वर्षों में शायद ही किसी बजट पर इतनी अधिक उम्मीदें टिकी हों, जितनी इस बार के बजट पर हैं. हर वर्ग की अपनी विशलिस्ट है और सरकार पर दबाव है कि वह इन सभी उम्मीदों को पूरा करे. विशेष रूप से मिडल क्लास अब महसूस कर रहा है कि उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसलिए, यह बजट न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि सियासी दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है.