ITR Filing Deadline: भारत में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के दौरान बहुत से टैक्सपेयर्स को मस्याओं का सामना करना पड़ता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फरवरी 1, 2025 को अपना आठवां बजट पेश करेंगी और इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि वे टैक्सपेयर्स की दिक्कतों को हल करने के लिए कुछ बड़े बदलाव कर सकती हैं.
फिलहाल, सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइल करने का समय बहुत कम होता है. उनके पास केवल 45 दिन का वक्त होता है, क्योंकि उन्हें अपने नियोक्ता (employer) से फॉर्म 16 जून 15 तक प्राप्त होता है. इसके बाद, उन्हें अपने बैंक स्टेटमेंट्स, फॉर्म 26AS और अन्य दस्तावेजों को मिलाकर अपनी रिटर्न फाइल करनी होती है. इस छोटे से वक्त में सभी जरूरी दस्तावेज इकट्ठा करने और टैक्स फाइल करने में कई बार तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
इसके अलावा, यदि आप विदेश में टैक्सपेयर हैं तो आपको अपनी विदेशी आय और संपत्तियों की डिटेल भारत में देना होता है. लेकिन कई देशों में टैक्स वर्ष कैलेंडर वर्ष से मेल नहीं खाता, जिससे भारतीय टैक्सपेयर्स विदेश में टैक्स रिटर्न प्राप्त करने में परेशानी महसूस करते हैं. यही कारण है कि इनकम टैक्स रिटर्न के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है.
अगर ITR जुलाई 31 से पहले नहीं भरा जाता, तो टैक्सपेयर को पुराने टैक्स नियमों का लाभ नहीं मिलता. इसके अलावा, देरी से फाइलिंग करने पर करदाताओं को अतिरिक्त ब्याज और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है, जिससे उनका वित्तीय बोझ बढ़ जाता है.
अब टैक्सपेयर चाहते हैं कि इस समय सीमा को बढ़ाकर कम से कम 31 अगस्त कर दिया जाए, ताकि वे सही तरीके से अपनी रिटर्न फाइल कर सकें. इससे विदेशी आय और संपत्तियों की जानकारी जुटाने में भी मदद मिलेगी. इसके साथ ही, रिवाइज्ड और बेलेटेड रिटर्न फाइलिंग की समय सीमा को दिसंबर 31 से बढ़ाकर मार्च 31 किया जा सकता है, ताकि टैक्सपेयर्स को ज्यादा समय मिल सके.
अगर कोई टैक्सपेयर तय समय सीमा के बाद रिटर्न फाइल करता है, तो उसे अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है. साथ ही, पुराने टैक्स नियमों का चुनाव भी नहीं कर पाएंगे और इससे संबंधित कानूनी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
उम्मीद है कि आने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन समस्याओं का समाधान पेश करेंगी और टैक्सपेयर को ज्यादा समय देंगी ताकि वे सही तरीके से अपनी रिटर्न फाइल कर सकें. इससे न केवल टैक्सपेयर को राहत मिलेगी, बल्कि आयकर विभाग को भी सही और पूर्ण जानकारी मिल पाएगी.