menu-icon
India Daily

Budget 2025: घर खरीदने वालों को मोदी सरकार से सबसे ज्यादा उम्मीदें, ये काम किया तो किराएदारों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश के आम बजट को पेश करने वाली हैं. उससे पहले इस बजट से लोगों को कई उम्मीदें हैं. इस बार रियल स्टेट में भी कई बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है. जिसमें टैक्स कम होना, स्टाम्प ड्यूटी कम करना और किरायदारों को भी राहत मिलने की उम्मीद है.

auth-image
Edited By: Shanu Sharma
Budget 2025
Courtesy: Social Media

Budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला हैं. आगामी बजट सेशन को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है. इस बजट से देश की जनता की कई उम्मीदे जुड़ी हैं. घर खरीदने का सपना देख रहे लोगों को उम्मीद है इस बजट में अफोर्डेबिलिटी बढ़ाई जाएगी. 

लोगों की उम्मीदें है कि इस बजट में हाई इंटरेस्ट रेट और लगने वाले टैक्स से छुटकारा मिलेगा. जिससे की घर खरीदने का सपने देखने वालों को एक खास अवसर प्राप्त होग. इसी तरह रियल एस्टेट उद्योग के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अच्छी तरह से नियोजित नीतिगत उपाय मध्यम वर्ग के घर खरीदने वालों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकते हैं .

टैक्स का बोझ होगा कम?

आम जनता जो एक अपने एक घर का सपना देखती है उन्हें इस बजट से उम्मीद है कि यह बजट वित्तपोषण को सुव्यवस्थित करने, टैक्स के बोझ को कम करने और किफायती आवास के लिए पहुंच में सुधार करने के उपाय पेश करेगा. लोगों का अपने घर का सपना पूरा करने के लिए उच्च बजटीय आवंटन के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-यू) जैसी पहलों को मजबूत करने की उम्मीद है. इसके अलावा ऋण-लिंक्ड सब्सिडी का विस्तार करना गृह स्वामित्व को बढ़ावा देगा और पहली बार खरीदारों को लाभान्वित करेगा. अभी के समय में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण डेवलपर्स के लिए चुनौतियां पेश करता है. अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी टैक्स संरचना वित्तीय तनाव को कम कर सकती है और निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए सुगम लेनदेन को प्रोत्साहित कर सकती है.

स्टाम्प ड्यूटी कम होने की उम्मीद

वहीं कुछ राज्यों में घर खरीदने वालों को 8-9% तक की स्टाम्प ड्यूटी का सामना करना पड़ता है. जिससे संपत्ति की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि होती है. इस बजट में एक समान और कम दर, विशेष रूप से 1.50 करोड़ रुपये तक की कीमत वाले आवास को अधिक किफायती बनाएगी और मांग को बढ़ावा देगी. लाभांश वितरण कर (डीडीटी) को कम करना और खुदरा निवेशकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करना उनके अपनाने को और बढ़ावा दे सकता है.

किरायदारों को राहत 

मेट्रो शहरों में किराये के आवास महंगे हैं. बड़ी संख्या में प्रवासी अपने कार्यस्थल के नज़दीक किराये के आवास का खर्च नहीं उठा पाते हैं. वे मुख्य शहर के केंद्रों से बहुत दूर रहते हैं और उन्हें अपने दफ़्तर पहुंचने के लिए ज़्यादा समय और पैसा खर्च करना पड़ता है. जो तुरंत घर नहीं खरीद सकते उनके लिए किफायती किराये के आवास इन प्रवासियों को राहत दे सकते हैं. शहरी आवास की कमी बढ़ने के साथ, किराये के आवास विकास के लिए प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन आवास की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं. होमबॉयर्स लंबे समय से होम लोन के लिए उच्च कर कटौती सीमा की तलाश कर रहे हैं. आयकर अधिनियम की धारा 80सी और 24(बी) के तहत कर कटौती सीमाओं पर फिर से विचार करने से वहनीयता बढ़ सकती है.