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Budget 2025: बजट में अगर इन 5 बातों पर दे दिया गया ध्यान तो आम जनता नहीं रहेगी परेशान!

Budget 2025: 1 फरवरी को 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतरामण देश का केंद्रीय बजट पेश करेंगे. इस बार बजट में कई बड़े ऐलान होने की संभावना जताई जा रही है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Budget 2025 Five concerns of the common man of India know here
Courtesy: Social Media

Budget 2025: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 2025 का केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तैयार हैं. पिछले कुछ वर्षों से, आम नागरिक महंगाई और आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. खाद्य सामग्री, विशेषकर सब्जियों की कीमतों में वृद्धि ने हर घर के बजट को प्रभावित किया है. इस स्थिति में आम आदमी की कई चिंताएं हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. आइए जानते हैं वे पांच प्रमुख बातें जिन्हें अगर बजट में ध्यान दिया गया तो आम जनमानस का जीवन थोड़ा आसान हो सकता है. 

1. महंगाई पर काबू 

महंगाई खासतौर से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सब्जियों, दूध और तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए रोजमर्रा की चीजों को खरीदना मुश्किल हो गया है.

अक्टूबर 2023 में दूध की कीमतों में मामूली कटौती करने का निर्णय लिया गया, जो कुछ राहत का कारण बना. फिर भी, महंगाई पर पूरी तरह से काबू पाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि आम आदमी की जेब पर कम बोझ पड़े.

2. वेतन वृद्धि में मंदी

हाल के वर्षों में वेतन वृद्धि की गति धीमी रही है. खासकर छोटे कर्मचारियों और मिड-लेवल कर्मचारियों के लिए वेतन में बहुत कम वृद्धि देखने को मिली है. उदाहरण के लिए, ब्रिटानिया कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का वेतन महज 3.4% बढ़ा है, जबकि संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन 6.5% बढ़ा है. वित्त मंत्री को इस विषय पर ध्यान देते हुए, वेतन वृद्धि की गति को बढ़ाने के उपायों पर विचार करना चाहिए.

3. आर्थिक मंदी और विकास की धीमी गति

आर्थिक विकास की गति पिछले कुछ वर्षों में धीमी पड़ी है. 2024-25 में भारत का विकास दर सिर्फ 6.4% रहने का अनुमान है, जो महामारी के दौरान गिरावट के बाद से सबसे धीमा है. सरकार की पूंजीगत खर्च में कमी ने इस मंदी को और बढ़ावा दिया है.

सरकार का पूंजीगत खर्च जैसे सड़क, इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण कार्यों में वृद्धि करने से उद्योगों की मांग बढ़ सकती है और इससे रोजगार सृजन होगा. यदि सरकार इन क्षेत्रों में और अधिक निवेश करती है, तो यह न केवल विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि नए रोजगार अवसरों का सृजन भी करेगा.

4. रोजगार की कमी और माईग्रेशन की समस्या

कोविड महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर श्रमिकों का पलायन हुआ था, जो अब तक पूरी तरह से नहीं रुक पाया है. कई लोग अभी भी अपने गांवों में वापस रह रहे हैं क्योंकि शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सीमित हैं और जीवन यापन की लागत भी बढ़ गई है.

5. टैक्स का बोझ

टैक्स का भारी बोझ निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है. केन्द्रीय सरकार अप्रत्यक्ष करों जैसे कि वस्तु और सेवा टैक्स (GST) के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि यह कर जीएसटी परिषद द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसमें केंद्रीय और राज्य वित्त मंत्री शामिल होते हैं.