Delhi Assembly Elections 2025

Budget 2025: क्या FM निर्मला सीतारमण का बजट दिल्ली और बिहार के मिडिल क्लास वोटर्स को लुभा पाएगा?

बजट सिर्फ अर्थव्यवस्था नहीं राजनीतिक रणनीतियों का भी एक अहम हिस्सा होता है. इसकी झलक इस बार के बजट में साफ दिखाई दी, जहां दिल्ली और बिहार को ध्यान में रखकर कई अहम घोषणाएं की गईं है.

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Budget 2025: बजट सिर्फ अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने का साधन नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक रणनीतियों का भी एक अहम हिस्सा होता है. इसकी झलक इस बार के बजट में साफ दिखाई दी, जहां दिल्ली और बिहार को ध्यान में रखकर कई अहम घोषणाएं की गईं है.

दिल्ली, जो हर व्यक्ति आय के हिसाब से देश का सबसे समृद्ध शहर है, वहां मिडल क्लास और सरकारी कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या मौजूद है. इस सेक्शन को आकर्षित करने के लिए कर छूट जैसी घोषणाएं की गईं. यह कदम आम आदमी पार्टी (AAP) के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है. चूंकि AAP का कोर वोटर कम आय वर्ग से आता है और हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजधानी की मिडल क्लास सरकार से नाराज चल रही है, ऐसे में मोदी सरकार ने उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश की है.

राजनीतिक मजबूती बनाए रखने की रणनीति

बिहार, जहां इस साल अक्टूबर या नवंबर में चुनाव संभावित हैं, वह भाजपा और उसकी सहयोगी जदयू (नीतीश कुमार की पार्टी) के लिए बेहद अहम राज्य है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में बिहार का उल्लेख कई बार हुआ, जिससे यह साफ संकेत मिला कि एनडीए राज्य को अपने पास बनाए रखना चाहता है.

बिहार के लिए बजट में खास घोषणाएं:

  • मखाना बोर्ड और राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना
  • आईआईटी-पटना का विस्तार
  • बौद्ध स्थलों के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना
  • पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए समर्थन

इन घोषणाओं के अलावा, वित्त मंत्री ने बिहार की पहचान को और गहरा करने के लिए मधुबनी कला से सजी साड़ी पहनी, जो एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखा गया.

पिछले साल की योजनाओं के बारे में

यह सब बिहार के लिए पिछले बजट में घोषित योजनाओं के अतिरिक्त है. इससे साफ हो जाता है कि भाजपा-जदयू गठबंधन का सीधा मुकाबला राजद-कांग्रेस गठबंधन से है और एनडीए अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता.

यह बजट केवल आर्थिक सुधारों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक संदेश भी निहित हैं. दिल्ली में मिडल क्लास को लुभाने और बिहार में अपनी पकड़ बनाए रखने की रणनीति इस बजट के केंद्र में रही. आगामी चुनावों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि सरकार न सिर्फ आर्थिक बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी मजबूती से डटी हुई है.