Budget 2025

Budget 2025: हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन आराम! सरकार बजट 2025 में ला सकती है लेबर कोड

बजट 2025 में सरकार लेबर कोड लागू कर सकती है, जानकारों का मानना है कि इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया किया जा सकता है. इस पॉलिसी में हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन आराम वाला सिस्टम भी लागू हो सकता है. 

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Budget 2025: मोदी सरकार Budget 2025 में लेबर कोड लागू करने का ऐलान कर सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में इन कोड्स को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना घोषित कर सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन नए लेबर कोड्स को तीन चरणों में लागू किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को लाभ मिलेगा.  

लेबर कोड के तहत क्या होगा बदलाव?
  
हफ्ते में 4 दिन काम:  
कर्मचारियों को हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम करना होगा और तीन दिन छुट्टी मिलेगी. हालांकि, काम के घंटे बढ़ सकते हैं.  

सैलरी में बदलाव:  
नए नियमों के तहत प्रोविडेंट फंड (PF) में कटौती बढ़ने से हर महीने हाथ आने वाली सैलरी कम हो सकती है.  

सामाजिक सुरक्षा में सुधार:  
लेबर कोड का मकसद कर्मचारियों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है.  

चरणबद्ध तरीके से होगा लागू  
पहला चरण: 500 से अधिक कर्मचारियों वाली बड़ी कंपनियों पर नियम लागू होंगे.  
दूसरा चरण: 100-500 कर्मचारियों वाली मझोली कंपनियां दायरे में आएंगी.  
तीसरा चरण: 100 से कम कर्मचारियों वाली छोटी कंपनियों पर नियम लागू किए जाएंगे.  

छोटे कारोबारियों को राहत  
छोटे कारोबारियों को इन नियमों को लागू करने के लिए लगभग दो साल का समय मिलेगा. MSME सेक्टर भारत के व्यवसाय ढांचे का 85% हिस्सा है, इसलिए इन्हें पर्याप्त समय और संसाधन दिए जाएंगे.  

राज्यों से हो रही है बातचीत  
लेबर मंत्रालय राज्यों के साथ इन कोड्स पर चर्चा कर रहा है. सरकार मार्च 2025 तक सभी राज्यों के लिए ड्राफ्ट नियम तैयार करना चाहती है. पहले चरण में "कोड ऑन वेजेस" और "सोशल सिक्योरिटी कोड" लागू किए जाएंगे.  

क्या हैं लेबर कोड्स?  
भारत सरकार ने 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार कोड्स में समाहित किया है:  

  • कोड ऑन वेजेस  
  • सोशल सिक्योरिटी कोड  
  • इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड  
  • ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड  

हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन आराम  
यह नीति काम और जीवन में संतुलन बनाने के लिए बनाई गई है. लेकिन काम के घंटे बढ़ने से श्रमिकों को यह बदलाव चुनौतीपूर्ण लग सकता है.