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'डॉलर को बिटकॉइन से खतरा, छिन सकता है वर्ल्ड रिजर्व करेंसी का दर्जा', ब्लैकरॉक CEO लैरी फिंक की चेतावनी

ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक ने सोमवार को निवेशकों को लिखे अपने वार्षिक पत्र में चेतावनी दी कि यदि अमेरिका अपने कर्ज को नियंत्रित नहीं करता और घाटा बढ़ता रहा, तो देश का विश्व रिजर्व मुद्रा का दर्जा खतरे में पड़ सकता है.

Imran Khan claims

ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक ने सोमवार को निवेशकों को लिखे अपने वार्षिक पत्र में चेतावनी दी कि यदि अमेरिका अपने कर्ज को नियंत्रित नहीं करता और घाटा बढ़ता रहा, तो देश का विश्व रिजर्व मुद्रा का दर्जा खतरे में पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि बिटकॉइन जैसे डिजिटल एसेट्स इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं.

अमेरिकी कर्ज का बढ़ता बोझ
फिंक ने बताया कि 1989 में टाइम्स स्क्वायर के डेट क्लॉक शुरू होने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रीय कर्ज जीडीपी की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ा है. इस साल सरकारी ब्याज भुगतान 952 बिलियन डॉलर को पार कर रक्षा खर्च से अधिक हो जाएगा. उन्होंने चेताया कि 2030 तक अनिवार्य सरकारी खर्च और कर्ज भुगतान सभी संघीय राजस्व को खा लेंगे, जिससे स्थायी घाटा होगा.

डिजिटल एसेट्स और डॉलर का भविष्य
फिंक ने कहा, “मैं डिजिटल एसेट्स के खिलाफ नहीं हूं. विकेंद्रीकृत वित्त एक अद्भुत नवाचार है. यह बाजारों को तेज, सस्ता और पारदर्शी बनाता है. लेकिन यही नवाचार अमेरिका के आर्थिक लाभ को कमजोर कर सकता है, अगर निवेशक बिटकॉइन को डॉलर से ज्यादा सुरक्षित मानने लगे.” उन्होंने बताया कि ब्लैकरॉक का यूएस स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ, IBIT, इतिहास का सबसे बड़ा ईटीएफ लॉन्च रहा, जो एक साल से कम समय में 50 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति तक पहुंच गया.

टोकनाइजेशन: निवेश में क्रांति
फिंक ने टोकनाइजेशन को निवेश का भविष्य बताया. उन्होंने कहा, “हर स्टॉक, बॉन्ड, फंड- हर संपत्ति को टोकनाइज किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो यह निवेश में क्रांति ला देगा. बाजारों को बंद करने की जरूरत नहीं होगी. लेनदेन जो अभी दिन लेते हैं, सेकंड में पूरे होंगे.” टोकनाइजेशन से अरबों डॉलर जो सेटलमेंट देरी में फंसे हैं, तुरंत अर्थव्यवस्था में पुनर्निवेश हो सकेंगे.

निवेश का लोकतंत्रीकरण
फिंक ने कहा कि टोकनाइजेशन निवेश को लोकतांत्रिक बनाता है, जिससे छोटे निवेशकों को भी उच्च-लाभकारी संपत्तियों तक पहुंच मिलेगी. उन्होंने आर्थिक चिंताओं को स्वीकार करते हुए भरोसा दिलाया कि मानव लचीलापन और पूंजी बाजारों की ताकत से अर्थव्यवस्था स्थिर होगी.

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