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Economic Survey: GDP को लेकर सरकार का बड़ा दावा, तेज होगी भारत में इकोनॉमी की रफ्तार!

बजट 2025 होने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 रिपोर्ट पेश किया गया है. जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान जताया गया है. 

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Edited By: Shanu Sharma
Economic Survey
Courtesy: ANI

Economic Survey:  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने से पहले इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट का खाका पेश किया है. जिसमें कई बड़ी बातें सामने आई है. इस रिपोर्ट से यह पता चल रहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 में देश की महंगाई कहां पहुंचने वाली है. राष्ट्रीय खातों के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. 

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच होगी. सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि घरेलू अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत बने हुए हैं. जिसमें मजबूत बाहरी खाता, संतुलित राजकोषीय समेकन और स्थिर निजी खपत शामिल है. इन विचारों के संतुलन पर, हम उम्मीद करते हैं कि FY26 में वृद्धि 6.3 और 6.8 प्रतिशत के बीच होगी.

सस्ती होंगी सब्जियां?

सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि कमजोर वैश्विक मांग और घरेलू मौसमी स्थितियों के कारण विनिर्माण क्षेत्र को दबाव का सामना करना पड़ा. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, निजी खपत स्थिर रही, जो स्थिर घरेलू मांग को दर्शाती है. राजकोषीय अनुशासन और सेवाओं के व्यापार अधिशेष और स्वस्थ प्रेषण वृद्धि द्वारा समर्थित मजबूत बाहरी संतुलन ने व्यापक आर्थिक स्थिरता में योगदान दिया. साथ में, इन कारकों ने बाहरी अनिश्चितताओं के बीच निरंतर विकास के लिए एक ठोस आधार प्रदान किया. आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति, जो हाल के महीनों में चिंता का विषय रही है, वित्त वर्ष 25 की अंतिम तिमाही में नरम पड़ने की उम्मीद है. सब्जियों की कीमतों में मौसमी गिरावट और खरीफ की फसल के आने से इसमें मदद मिलेगी.

पहली छमाही में अच्छी रबी फसल की उम्मीद

इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में अच्छी रबी फसल से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है. जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी. सर्वेक्षण ने स्वीकार किया कि निवेश गतिविधि में मंदी आई है, लेकिन इसने गिरावट को अस्थायी बताया. इसने बताया कि नीति समर्थन और कारोबारी भावना में सुधार सहित कई कारक निवेश में तेजी ला सकते हैं.

इसमें आगे कहा गया है कि घरेलू निवेश, उत्पादन वृद्धि और मुद्रास्फीति के रुझान वित्त वर्ष 26 में सकारात्मक गति देख सकते हैं.आर्थिक सर्वेक्षण ने दोहराया कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है. इसने स्थिर वित्तीय प्रणाली, बुनियादी ढांचे में सुधार और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों जैसे कारकों पर प्रकाश डाला. सर्वेक्षण में विश्वास व्यक्त किया गया कि व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ, भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार जारी रहेगा, जिसे स्थिर निजी उपभोग, नियंत्रित मुद्रास्फीति और निवेश वृद्धि का समर्थन प्राप्त होगा.