menu-icon
India Daily

'व्यूज के लिए कुछ भी हेडलाइंस बना दो...', जेनसोल विवाद में नाम घसीटे जाने पर अशनीर ग्रोवर ने भारतीय बिजनेस पत्रकारों पर बोला हमला

ग्रोवर ने कहा कि उनकी कंपनी में कौन निवेश कर रहा है और उसके पैसों का स्रोत क्या है वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है. हमारा ध्यान स्टेकहोल्डर्स के लिए एक बेहतरीन व्यवसाय बनाने पर है.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
Ashneer Grover

जेनसोल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी के फंड प्राप्त करने के चलते अशनीर ग्रोवर का स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न प्राइवेट मिलिमेड निशाने पर आ गया है. बता दें कि जग्गी कथित तौर पर वित्तीय कुप्रबंधन और फंड डायवर्जन के चलते मार्केट रेग्यूलेटर सेबी की निगरानी में हैं.

सेबी द्वारा 15 अप्रैल 2025 को जारी अंतरिम आदेशानुसार ग्रोवर की कंपनी में जग्गी का 50 लाख रुपए का निवेश जेंसोल से जुड़ी संस्थाओं से जुड़े संदिग्ध वित्तीय लेन-देने के एक बड़े पैटर्न का हिस्सा है. आदेशानुसार, जग्गी ने थर्ड यूनिकॉर्न के 2000 शेयर खरीदे और 31 मार्च तक इन्हें अपने पास रखा.

विवादित प्रक्रिया पर जवाब देते हुए अशनीर ने सोशल मीडिया पर जवाब देते हुए खुद को पीड़ित बताया. उन्होंने कहा कि उन्होंने जग्गी के ईवी कैब स्टार्टअप ब्लूस्मार्ट में 1.5 करोड़ रुपए और मैट्रिक्स में 25 लाख का निवेश किया था.

ग्रोवर ने कहा कि उनकी कंपनी में कौन निवेश कर रहा है और उसके पैसों का स्रोत क्या है वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है. हमारा ध्यान स्टेकहोल्डर्स के लिए एक बेहतरीन व्यवसाय बनाने पर है.

व्यूज के लिए कुछ भी

उन्होंने भारतीय पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा. उन्होंने कहा, 'भारतीय पत्रकारिता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। हाल ही में ब्लूस्मार्ट और जेनसोल से जुड़े विवाद में उनका नाम घसीटे जाने पर उन्होंने भारतीय बिजनेस पत्रकारों पर निशाना साधते हुए उनकी कार्यशैली को "शर्मनाक" और "सस्ता" करार दिया।'

अशनीर ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "मैंने कभी कोई हेडलाइन नहीं देखी जिसमें लिखा हो कि फंड राजीव सिंह के डीएलएफ या रतन टाटा के टाइटन में डायवर्ट किए गए।" उन्होंने भारतीय पत्रकारों को "अनपढ़" और "विच हंट" में माहिर बताया। अशनीर का कहना है कि पत्रकार बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज हेडलाइंस बनाकर सिर्फ व्यूज बटोरने में लगे हैं।

अशनीर ने खुलासा किया कि वह स्वयं ब्लूस्मार्ट विवाद के "पीड़ित" हैं। उन्होंने ब्लूस्मार्ट में 1.5 करोड़ रुपये और मैट्रिक्स में 25 लाख रुपये का निजी निवेश किया था। वे उम्मीद करते हैं कि कंपनी इस संकट से उबरकर अपने हितधारकों के हितों की रक्षा करेगी। ग्रोवर ने पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके और उनकी कंपनी के नाम को इस विवाद में घसीटना "शर्मनाक" है।

पत्रकारों को मास्टरक्लास में शामिल होने की चुनौती
उन्होंने कहा कि वह इस सप्ताह के अंत में एक मास्टर क्लास का आयोजन कर रहे हैं जिसमें वे कंपनी, शेयरहोल्डर, बैंक खाता, ऑडिट, और फंडरेजिंग जैसे विषयों पर पत्रकारों को ट्रेनिंग देंगे.

पारदर्शिता की मांग
अशनीर ने चुनौती दी कि वे अपने आयकर रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट साझा करने को तैयार हैं, बशर्ते पत्रकार अपने संपादकों या मालिकों के समान दस्तावेज पेश करें। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, "है औकात?"

उन्होंने कहा कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपने शेयरहोल्डरों की गतिविधियों या उनके फंड के स्रोत की जांच के लिए जिम्मेदार नहीं होती। उन्होंने कहा, "दुनियाभर में कोई भी स्टार्टअप ऐसा नहीं करता। हर शेयरहोल्डर SSA/SHA में यह घोषणा करता है कि निवेश उनका अपना है।"