सावन का महीना साल का पांचवां महीना होता है. इस महीने को श्रावण माह भी कहा जाता है. इस महीने में जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि इस महीने में भोलेनाथ की पूजा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है. साथ ही उत्तम फलों की प्राप्ति भी होगी. इस महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि अगर आप महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सावन माह में भगवान शिव को मनाने के लिए सबसे उत्तम माध्यम माना जाता है रुद्राभिषेक या जलाभिषेक को.
श्रावण मास भोलेनाथ की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सबसे लाभदायक माना जाता है. इसे हिंदू धर्म में बेहद पवित्र महीना के रूप में देखा जाता है. सावन के शुरू होते ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो जाती है. इस महीने में शिव के भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं, व्रत रखते हैं और शिवालयों में जाकर जटाधारी शिव को खुश करते हैं. इस साल यह सावन का महीना आज यानी 22 जुलाई से शुरू हो गया है.
पौराणिक मान्यता है कि सावन महीने का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है. शिव जी को सोमनाथ और जलदेव, जटाधारी, डमरू वाले आदि कहा जाता है. इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस महीने में हर दूसरे-तीसरे दिन कोई शुभ तिथि, तीज-त्योहार और उत्सव होता है, इसलिए ग्रंथों में सावन के महीने को पर्व भी कहा गया है.
मान्यता है कि जब माता पार्वती युवा अवस्था में थीं तो उन्होंने इसी महीने में बिना कुछ खाए पिए कठिन व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था. दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान शिव सावन महीने में ही पृथ्वी पर अपने ससुराल गए थे. वहीं उनका स्वागत जलाभिषेक करके ही किया गया था. कहा यह भी जाता है कि इसी माह में भगवान शिव अपने ससुराल जाते हैं. इसलिए यह महीना भगवान शिव के अलावा माता पार्वती को भी बहुत पसंद है.
स्कंद और शिव पुराण के हवाले से जानकार इसकी दो वजह बताते हैं. इस महीने पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र होता है. इस नक्षत्र के कारण ही इस महीने का नाम सावन नाम पड़ा है.मान्यता है कि देवी पार्वती और मार्कंडेय त्रृषी की तपस्या के साथ ही समुद्र मंथन से भी सावन का महीना जुड़ा है.