Paush Purnima : शास्त्रों में पौष पूर्णिमा पर्व को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन से माघ मास के पवित्र स्नान का शुभारम्भ होता है. 25 जनवरी 2024 गुरुवार के दिन, चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे. इसके साथ ही इस दिन प्रातः 8 बजकर 38 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र उसके बाद पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग रहेगा.
पौष पूर्णिमा पर कर्क राशि का चन्द्रमा और मकर राशि का सूर्य, अपनी प्राणदायिनी अमृतमयी किरणों का संचरण कर जल में प्राणदायी ऊर्जा समाहित करेंगे. गुरु पुष्य योग के कारण इस दिन स्नान, दान का कई गुना महत्व रहेगा व इस दिन राशि रत्न अथवा शुभ वस्तुओं को खरीदकर उपयोग करना बेहद फायदेमंद रहेगा.मन, मस्तिष्क व जल तत्व को प्रभावित करने वाले चन्द्रमा का स्वयं की राशि कर्क में पूर्णिमा के दिन विद्यमान होना अत्यंत शुभकारी होता है. जो स्नान-दान के फल को कई गुना बढ़ता है.
पौष का महीना सूर्य देव को समर्पित है, वहीं पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा होते हैं. सूर्य और चंद्रमा का ये दुर्लभ संयोग सिर्फ पौष पूर्णिमा पर ही बनता है. शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा पर सुबह सूर्याोदय से पूर्व सूर्य को जल चढ़ाने के बाद पूर्णिमा व्रत की शुरुआत होती है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व पूजा करके व्रत खोला जाता है.
मान्यता है कि सूर्य-चंद्र की पूजा के विशेष संयोग में स्नान-दान करने से व्यक्ति के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और साधक को मोक्ष मिलता है.सूर्य पूजा के लिए पौष माह की पूर्णिमा तिथि आखिरी दिन है. ऐसे में सूर्य देव की प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस विशेष संयोग में सुबह तांबे के लोटे में जल, कुमकुम, चावल, लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें.
मान्यता है कि अगर पौष के महीने में सूर्य उपासना न कर पाएं हो तो पौष पूर्णिमा पर सूर्य को जल चढ़ाने पर पूरे माह की पूजा के समान फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही व्यक्ति को दीर्घायु और आरोग्य होने का वरदान मिलता है. इसके साथ ही गंभीर बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है. इसी दिन से माघ मास का पहला स्नान भी किया जाता है.
पुराणों में बताया गया है कि मानसिक विकारों से छुटकारा पाने के लिये आज पौष पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की रोशनी में बैठकर ऊँ सोमाय नमः मंत्र का 21 बार जाप करें. इसके बाद चंद्र को अर्घ्य दें. मान्यता है इससे चंद्र दोष दूर होता है. मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है.
इस दिन बहुत से लोग स्नान, दान, पूजा, व्रत आदि करते हैं. इसके अलावा इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है. अगर इस दिन व्रत रखना चाहते हैं तो सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद स्नान कर वरुण देवता को प्रणाम करें और सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. उन्हें नैवेद्य अर्पित करें. जरूरतमंदों को भोजन कराएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें.
इस दिन तिल, गुड़, ऊनी वस्त्र और कंबल का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन जो व्यक्ति पवित्र नदी में स्नान करके अपने सामर्थ्य अनुसार दान पुण्य करता है. उसके जीवन में दुख के दिन जल्द दूर हो जाते हैं. अगर नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इसके बाद जरूरमंदों का जरूरी चीजों का दान कर दें. इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और अपने भक्तजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. ऐसे में पौष पूर्णिमा पर सच्चे मन से मां लक्ष्मी की अराधना करें. मां लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें. उन्हें कमल का फूल और गुलाब का इत्र चढ़ाएं. धूपबत्ती जलाएं. प्रसाद के रूप में खीर चढ़ाएं. माता लक्ष्मी की आरती उतारें. रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और ॐ सोमाय नमः की जाप करते हुए. रातभर जागरण भी करें.
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