Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ कहा गया है. यह भगवान श्रीहरि का वास है. यहां पर प्रभु के दर्शनमात्र से भक्तों के सभी दुख मिट जाते हैं. इसके साथ ही इसको भगवान श्रीकृष्ण की नगरी भी कहा जाता है. यहां पर भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ विराजमान हैं. भारत के ओडिशा के पुरी में स्थित यह मंदिर बेहद ही रहस्यमयी है. इस मंदिर के रहस्य का आजतक कोई भी पता नहीं लगा पाया है.
हर साल आषाढ़ माह की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकाली जाती है. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में जाते हैं. इस मंदिर के रहस्यों को आज भी विज्ञान नहीं खोज पाया है. जगन्नाथपुरी को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में एक गलती आपको यमलोक पहुंचा सकती है.
धर्मपुराणों में जगन्नाथपुरी को बेहद पवित्र स्थल और भगवान का स्थान माना गया है. यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके साथ ही सारे कष्ट मिट जाते हैं. जगन्नाथपुरी मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन इनमें से एक सीढ़ी बेहद रहस्यमयी है. मान्यता है इस सीढ़ी पर पैर रखने वाला व्यक्ति यमलोक जाता है. इस कारण इस सीढ़ी पर पैर नहीं रखना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय 22 सीढ़ियां पड़ती हैं. इसमें से तीसरी सीढ़ी को यमशिला कहा गया है. मान्यता है कि जब आप प्रभु के दर्शन करने जाएं तो सभी सीढ़ियों पर पैर रखकर जाएं, लेकिन वापस आते समय नीचे से तीसरी सीढ़ी पर पैर न रखें. इस सीढ़ी पर पैर रखने से व्यक्ति के पुण्य शून्य हो जाते हैं और उसे यमलोक की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यमराज भगवान जगन्नाथ के पास आए और उन्होंने उनसे कहा कि हे प्रभु इस मंदिर में आपके दर्शन करने मात्र से भक्तों के पाप धुल जाते हैं और कोई भी यमलोक नहीं आ पाता है. यमराज की बात सुनकर भगवान ने कहा कि आप इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर स्थान ग्रहण करें. जो भी व्यक्ति मेरे दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके पुण्य मिट जाएंगे और वह यमलोक को प्राप्त करेगा.
मंदिर में जाते समय नीचे से तीसरी वाली सीढ़ी यमशिला है. इसका रंग काला है. बाकी सीढ़ियों का रंग अलग है. इसपर किसी का पैर न पड़े, इस कारण ही इसका रंग काला किया गया है.
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