महाभारत के योद्धा अर्जुन कैसे बन गए किन्नर, सबसे बड़े धनुर्धर को क्यों बनना पड़ा बृहन्नला?

Mahabharat Katha: महाभारत काल में अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, लेकिन एक बार उनको किन्नर बनना पड़ गया था. वे कई महीनों तक इसी रूप में रहे थे. 

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Mahabharat Katha: महाभारत काल में कई ऐसे महायोद्धा हुए, जो बेहद ही शक्तिशाली थे. इनमें से ही एक अर्जुन थे, जो भगवान श्रीकृष्ण के रिश्ते में जीजा लगते थे. अर्जुन एक सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे. उन्होंने कई बड़े-बड़े योद्धाओं को युद्ध में परास्त किया था, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उनको किन्नर का रूप धारण करना पड़ गया था. 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अर्जुन के किन्नर बनने का कारण एक अप्सरा से मिला श्राप था. उस भयंकर श्राप के कारण अर्जुन को एक साल तक किन्नर बनकर रहना पड़ा था. अर्जुन देवराज इंद्र के पुत्र थे. माता कुंती ने नियोग विधि के माध्यम अर्जुन को प्राप्त किया था. 

किसने दिया था अर्जुन को श्राप? 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार अर्जुन इंद्रदेव से मिलने देवसभा में गए. उस समय उर्वशी नाम की अप्सरा देव सभा में अपनी कला का प्रदर्शन कर रही थी. उर्वशी का पद स्वर्गलोक में काफी ऊंचा था और वे वहां की सबसे सुंदर अप्सरा मानी जाती हैं. उर्वशी ने जब इंद्रलोक में अर्जुन को देखा तो वे उनपर मोहित हो गईं. इस कारण वे अर्जुन को रिझाने में लग गईं. इसके साथ ही उर्वशी ने अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. उन्होंने अर्जुन को मनाने का काफी प्रयास भी किया, पर अर्जुन ने उनमें  कोई भी रूचि नहीं दिखाई, क्योंकि वे उर्वशी को माता मानते थे. जब उर्वशी की बात अर्जुन ने नकार दी तो क्रोध में आकर उन्होंने अर्जुन को श्राप दे दिया. उर्वशी ने अर्जुन को किन्नर रूप में धरती पर रहने और नपुंसक बनने का श्राप दिया था. 

इंद्र तक पहुंची बात

जब ये बात इंद्र को पता चली तो उन्होंने उर्वशी का क्रोध शांत होने के बाद श्राप को बदलने का आग्रह किया. इस पर उर्वशी ने अर्जुन को वरदान देते हुए कहा कि वे अपनी आवश्यकता के हिसाब से इस श्राप का उपयोग कर सकेंगे और इसकी अवधि 1 साल होगी. इस श्राप का उपयोग अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान किया था. 

अर्जुन को बनना पड़ा किन्नर 

जब पांडव अज्ञातवास पर गए तो अर्जुन 1 साल तक किन्नर बनकर रहे. उन्होंने बृहन्नला नाम के किन्नर का रूप धारण कर लिया था और एक विराट नगर के महल में जा पहुंचे. अर्जुन विराट नगर में बृहन्नला नामक किन्नर बनकर राजा विराट के सेवक के रूप में काम करते थे. उन्होंने विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य भी सिखाया था. उत्तरा का विवाह बाद में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था. अभिमन्यु, अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे. सुभद्रा भगवान श्रीकृष्ण की बहन और अर्जुन की पत्नी थीं. इस कारण अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के जीजा थे. 

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