आखिर शादी से पहले गुण क्यों मिलाए जाते हैं , जानें प्रभु श्रीराम और माता सीता के कितने मिले थे गुण?
Shubh vivah : हिंदू धर्म में शादी से पहले लड़का और लड़की की कुंडली मिलायी जाती है. इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि लड़के और लड़की के कितने गुण मिल रहे हैं. गुणों के अनुसार ही इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि विवाह शुभ रहने वाला है या अशुभ. आखिर इन गुणों का संबंध हमारे दांप्त्य जीवन से क्या होता है, आइए जानते हैं.
Shubh vivah : हिंदू धर्म में विवाह को एक संस्कार माना गया है. विवाह अच्छा रहे इस कारण लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान विवाह से पूर्व कराया जाता है. इसके आधार पर तय होता है कि यह विवाह शुभ रहने वाला है या फिर अशुभ. कुंडली के साथ ही विवाह से पूर्व ज्योतिषीय इस बात का भी विशेष ध्यान रखते हैं कि लड़का और लड़की के कितने गुण मिल रहे हैं. शादी से पूर्व इन बातों का खास ख्याल रखाा जाता है. मान्यता है कि कुंडली मैच होने पर किया जाने वाला विवाह काफी शुभ रहता है.
क्या होते हैं यह गुण?
हिंदू धर्म में विवाह से पहले लड़का और लड़की के गुणों का मिलान काफी जरूरी माना जाता है. इससे पता चलता है शादी के बाद वर और वधू की आपस में कितनी बनेगी. पति और पत्नी का जीवन सुखमय हो इस कारण गुणों का मिलान कराया जाता है. इस कारण कुंडली मिलान में अष्टकूट गुण को देखा जाता है. इसके साथ ही भकूट के 7 गुण, नाड़ी के 8 गुण,ग्रह मैत्री के 5 गुण, गण मैत्री के 6 गुण, वश्य के 2 गुण, योनि मैत्री के 4 गुण, ताराबल के 3 गुण और 1 गुण वर्ण का मिलान किया जाता है. इस प्रकार से इन सभी को मिलाकर कुल 36 गुण होते हैं.
ये हैं मान्यताएं
माना जाता है कि 18 से कम गुण मिलते हैं तो विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा विवाह असफल होता है.
18 से 25- अगर लड़का और लड़की के 18 से लेकर 25 तक के अंदर गुण मिल रहे हैं तो यह विवाह के लिए अच्छा मिलान माना जाता है.
25 से 32- अगर किसी जोड़े के 25 से 32 गुण मिल रहे हैं तो यह विवाह के लिए उत्तम मिलान होता है. ऐसा विवाह सफल रहता है.
32 से 36 गुण- अगर कुंडली मिलान में 32 से 36 अंकों के बीच के गुण मिल रहे हैं तो यह काफी उत्तम मिलान होता है. ऐसा विवाह काफी अच्छा माना जाता है.
प्रभु श्रीराम और माता सीता के मिले थे इतने गुण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम और माता सीता के 36 में से 36 गुण मिले थे. इस कारण इस कारण प्रभु श्रीराम और सीता की जोड़ी काफी सफल रही. हालांकि विवाह से पहले राजा जनक की पुष्पवाटिका में माता सीता ने पहली बार प्रभु श्रीराम को देखा था. यहीं से ही माता सीता ने प्रभु को अपने पति रूप में स्वीकार कर लिया था. वे विवाह से पहले माता गौरी के पूजन के लिए वहां आई थीं और प्रभु श्रीराम और भइया लक्ष्मण पुष्प तोड़ने आए थे. माता सीता ने जब प्रभु को देखा तो गौरा माता से विनती की थी कि उन्हें पति रूप में प्रभु श्रीराम प्राप्त हों. इस पर मां गौरी ने उनको आशीर्वाद दिया था कि उनको पति रूप में प्रभु श्रीराम ही मिलेंगे.
गुण अच्छे मिलने के बाद भी क्यों असफल होती हैं शादियां?
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गुण मिलान तो कुंडली मिलान का एक छोटा सा हिस्सा है. सिर्फ गुण मिलने से ही शादी सफल होगी यह नहीं कहा जा सकता है. गुण मिलान के साथ ही ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति भी काफी मायने रखती है. कुंडली में 7वां भाव शादी का होता है. इसमें ग्रहों की क्या स्थिति है, इससे भी विवाह के बारे में पता लगता है.
दोष की जांच भी है जरूरी
गुण मिलान के साथ ही मंगलदोष, पितृदोष, कालसर्प दोष जैसे कई प्रकार के दोषों की जांच भी आवश्यक होती है. इस कारण शादी से पहले सिर्फ गुण नहीं पूरी कुंडली का अच्छा मिलना आवश्यक होता है.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.