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वीरता के लिए अमर हो गया नाम, मैहर वाली देवी मां शारदे के परमभक्त, जानिए कौन थे आल्हा-ऊदल?

Alha-Udal Story: भारत के इतिहास में अनेक वीरों की गाथाएं हैं. ऐसे ही इस देश दो वीर आल्हा-ऊदल थे. जिन्होंने बुंदेलखंड को गौरव, मान और सम्मान दिलाया. दोनों भाई मां शारदा के परमभक्त थे. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: social media

Alha-Udal Story: आज हम आपको भारत के बुंदेलखंड में जन्म लेने वाले ऐसे दो योद्धाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ दी है. 12वीं सदी में बुंदेलखंड में महोबा के दशरथपुरवा गांव में दो भाई आल्हा-उदल का जन्म हुआ. ये दोनों भाई बचपन से ही शास्त्रों का ज्ञान रखते थे. इसके साथ ही यह युद्ध कौशल में भी निपुण थे. इनके पिता का नाम दासराज और माता का नाम दिबला था. आल्हा और ऊदल चंद्रवंशी क्षत्रिय राजपूत योद्धा थे. वे मां शारदा के उपासक भी थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन राजा परमाल को समर्पित कर दिया था. वे राजा परमार के यहां सामंत थे. 

मान्यता है कि आल्हा माता शारदा के अनन्य भक्त थे. उन्हें माता की ओर से पराक्रम और अमरता का वरदान भी मिला था. लोग मानते हैं कि आज भी आल्हा माता शारदा का पूजन करने के लिए आते हैं. मंदिर में रात 8 बजे आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जब मंदिर खोला जाता है तो वहां आज भी माता की आरती और पूजा के सबूत मिलते हैं. मान्यता है कि आज भी माता शारदा के दर्शन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं. इस कारण बुंदेलखंड के कुछ लोगों का मानना है कि आल्हा-ऊदल आज भी जिंदा हैं. 

52 युद्धों की अमरगाथा है इनके नाम 

आल्हा और ऊदल परमार वंश के सामंत थे. कालिंजर के राजा परमार के दरबार के कवि जगनिक द्वारा लिखे गए आल्हा खंड के अनुसार आल्हा उदल ने 52 लड़ाइयां लड़ी थीं. उन्होंने आखिरी युद्ध पृथ्वीराज चौहान से किया था. यहां उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था. हालांकि गुरु गोरखनाथ के कहने पर उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दे दिया था. आल्हा खंड के अनुसार उनके भाई ऊदल इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे. इस युद्ध के बाद से ही आल्हा ने वैराग्य धारण कर लिया था. 

आज भी गाए जाते हैं गीत 

आज भी आल्हा-ऊदल के लिए गीत लिखे और गाए जाते हैं. इसके साथ ही लोग आल्हा की गाथा को भी सुनाते हैं. इनको बड़े लड़ैया कहा जाता है. बिना आल्हा-ऊदल की कहानी के बुंदेलखंड में कोई भी संस्कार पूरा नहीं होता है. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.