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महाभारत में शिखंडी के सामने हथियार क्यों नहीं उठाते थे भीष्म पितामह, कैसे बाणों की शय्या पर लेटे गंगापुत्र?

Mahabharat Facts: महाभारत के युद्ध में शूरवीर भीष्म पितामह की मौत का प्रमुख कारण शिखंडी नाम का एक पात्र बना था. शिखंडी के वर्णन के बिना महाभारत अधूरी है. शिखंडी के सामने भीष्म पितामह जैसे योद्धा ने अपने शस्त्र त्याग दिए थे और वीरगति को प्राप्त होने से पहले बाणों की शय्या पर चले गए थे. क्या आप जानते हैं कि यह शिखंडी आखिर कौन था, अगर नहीं तो आइए जानते हैं कि आखिर कौन थे शिखंडी, जिनके सामने खुद गंगापुत्र ने शस्त्र त्याग दिए थे. 

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Edited By: India Daily Live
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Mahabharat Facts: महाभारत के युद्ध में कई शूरवीर योद्धाओं ने भाग लिया था. इन योद्धाओं में कई ऐसे योद्धा थे, जिनको कोई भी नहीं हरा सकता था. ऐसे ही एक योद्धा भीष्म पितामह थे. भीष्म गंगा के पुत्र थे. इस कारण इनको गंगापुत्र के नाम से भी जाना जाता है.भीष्म पितामह को युद्ध में कोई नहीं हरा सकता था. उन्होंने युद्ध में पांडवों के खिलाफ और कौरवों की सेना के पक्ष में शस्त्र उठाए थे. अन्याय का साथ देने के चलते भगवान श्रीकृष्ण ने उनको परास्त करने का शिखंडी का सहारा लिया था. शिखंडी के सामने आते ही भीष्म पितामह ने अपने शस्त्र त्याग दिये थे. 

सबसे विनाशकारी युद्धों में से महाभारत का युद्ध भी एक है. इस युद्ध में कौरवों की विशाल सेना को पांडवों के द्वारा मात खानी पड़ी थी. कौरवों की सेना में ऐसे अजेय योद्धा थे, जिनको कोई भी नहीं हरा सकता था. ऐसे ही एक योद्धा गंगापुत्र भीष्म भी थे. भीष्म पितामह काफी पराक्रमी योद्धा थे, उनके आगे कोई नहीं टिक पा रहा था. युद्ध में जब पांडव भीष्म पितामह के सामने कमजोर पड़ने लगे तो भगवान श्रीकृष्ण ने उनको हराने के लिए एक युक्ति खोजी. उन्होंने शिखंडी को भीष्म पितामह के सामने खड़ा कर दिया. शिखंडी को देखते ही भीष्म पितामह ने शस्त्र त्याग दिए. इसके बाद भी अर्जुन उनको बाण मार पाए. इसके बाद उनके कहने पर बाणों की शय्या अर्जुन ने बनाई और उस पर कई दिनों तक भीष्म पितामह लेटे थे.

कौन था शिखंडी?

जब हस्तिनापुर के राज विचित्रवीर्य थे तब उनके विवाह के लिए भीष्म पितामह काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को हर लाए थे. वहीं, जब उनको पता चला कि अंबा राजा शाल्व से प्यार करती हैं तो उन्होंने पूरे सम्मान के साथ उनको राजा शाल्व के पास भेज दिया, लेकिन राजा शाल्व ने अंबा को अपनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली.

अंबा की इस स्थिति के बारे में जब उनके नान राजर्षि होत्रवान को पता चला तो उन्होंने अंबा को परशुराम भगवान से मिलने को कहा. अंबा ने अपने साथ हुई पूरी घटना के बारे में परशुराम को बताया. इस पर परशुराम ने भीष्म से अंबा के साथ विवाह करने को कहा लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. परशुराम को यह बात काफी खराब लगी तो उन्होंने भीष्म से युद्ध किया लेकिन वे भीष्म को हरा नहीं पाए और पराजित हो गए. वहीं, युद्ध समाप्त होने बााद अंबा भीष्म के सर्वनाश के लिए यमुना किनारे तप करने लगीं और तप करते-करते उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. 

भगवान शिव ने दिया था वरदान 

अंबा का दूसरा जन्म वत्सदेश के राजा के यहां हुआ और यहां वे अपने पूर्वजन्म के बारे में जानती थीं. इस कारण उन्होंने फिर से तप करना शुरू कर दिया. उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए. उन्होंने अंबा से वरदान मांगने को कहा. इस पर अंबा ने भीष्म को युद्ध में परास्त करने का वरदान मांगा. भगवान शिव ने उनको वरदान दे दिया, लेकिन अंबा ने भगवान शिव से कहा कि वे एक स्त्री होकर युद्ध कैसे कर सकती है. इस पर भगवान शिव ने कहा कि अगले जन्म में तुम फिर से कन्या रूप में जन्म लोगी  और युवा होने पर तुम पुरुष हो जाओगी. तुम ही भीष्म की मृत्यु का कारण बनोगी. ऐसा वरदान मिलने पर अंबा ने एक चिता बनाई और खुद भस्म हो गईं. 

शिखंडी का हुआ जन्म

महाभारत काल अंबा का जन्म राजा द्रुपद के यहां शिखंडी रूप में हुआ . एक यक्ष ने शिखंडी की सहायता के लिए अपना पुरुषत्व उन्हें दे दिया और स्वयं स्त्री रूप धारण कर लिया. इसके साथ ही यह वचन भी लिया कि कार्य समाप्ति के पश्चात वे उनका पुरुषत्व उनको वापस कर दें. शिखंडी ने उनको वचन दे दिया. 

भीष्म पितामह ने छोड़े शस्त्र

महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह को हराने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने शिखंडी से युद्ध में आने को कहा. इस पर शिखंडी युद्ध में भीष्म पितामह के सामने आ गया. भीष्म ने स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाने की प्रतिज्ञा ली थी. शिखंडी स्त्री से पुरुष बना था, इस कारण भीष्म ने उसके सामने शस्त्र त्याग दिए इसके बाद अर्जुन ने शिखंडी को ढाल बनाकर भीष्म पितामह के ऊपर बाणों की वर्षा कर दी. अर्जुन के बाणों के कारण भीष्म बाणों की शय्या पर आ गए और महाभारत के युद्ध के अंत में उन्होंने अपनी देह का त्याग कर दिया.