Mahabharat Katha: महाभारत में कई ऐसे पात्र हैं, जिनका जीवन आज भी रहस्य बना हुआ है. ऐसी ही एक पात्र द्रौपदी भी थीं. द्रौपदी वैसे तो पांचों पांडवों की पत्नी थीं, लेकिन असल में वे प्यार किसी और से भी करती थीं. कई लोगों का मानना है कि महाभारत का यह विध्वंसक युद्ध कौरवों द्वारा पांडवों का राज्य छीनने और द्रौपदी के चीरहरण के चलते हुआ था. द्रौपदी बेहद ही खूबसूरत स्त्री थीं, वे पांडवों के साथ शादी होने से पहले किसी और को पसंद करती थीं और उनसे शादी भी करना चाहती थीं, लेकिन कुछ खास कारणों के चलते दोनों की शादी नहीं हो पाई थी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा द्रुपद ने द्रोणाचार्य का अपमान किया था, जिसके चलते उन्होंने पांडवों के सहयोग से राजा द्रुपद को बंदी बना लिया था. इस अपमान के बदला लेने के लिए द्रपुद ने ब्राह्मणों की सहायता से एक यज्ञ किया. इससे उनको दो संतानें पैदा हुई. इसमें एक कन्या और एक पुत्र था. कन्या का नाम द्रौपदी और पुत्र का नाम धृष्टद्यम्न रखा गया. द्रौपदी का जन्म द्रोणाचार्य के वध के लिए हुआ था.
द्रौपदी शादी से पहले कर्ण से प्यार करती थीं. कर्ण वैसे तो कुंती की शादी से पहले उनको सूर्य देव के माध्यम से एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी. जिनका नाम कर्ण था, लेकिन उन्होंने बदनामी के डर से कर्ण को नदी में बहा दिया था. इसके बाद कर्ण को एक सारथी ने पाला था. इस कारण उनको सूतपुत्र कहा जाता था.
कथाओं के अनुसार दुर्योधन के मित्र कर्ण का चित्र देखकर द्रौपदी उनको पसंद करने लगी थीं. स्वयंवर में भी द्रौपदी कर्ण से ही विवाह करना चाहती थीं. इसके साथ ही कर्ण भी द्रौपदी को पसंद करत थे. दोनों में एक-दूसरे के लिए प्रेम होने के बाद भी उनका विवाह नहीं हो पाया था.
कर्ण की शादी द्रौपदी से नहीं होने के पीछे कई सारे कारण थे. इनमें से सबसे बड़ा कारण ये था कि द्रौपदी का जन्म द्रोणाचार्य के वध के लिए हुआ था, लेकिन कर्ण दुर्योधन के मित्र थे. इस कारण वे द्रोणाचार्य का कभी भी वध नहीं कर सकते थे.
द्रौपदी कभी भी दास की पत्नी बनकर नहीं रहना चाहती थीं. कर्ण को लोग सूतपुत्र के रूप में जानते थे. इस कारण द्रौपदी को लगा कि कर्ण से विवाह द्रौपदी के अपयश का कारण बन सकता था.
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं द्रौपदी को कर्ण से विवाह करने के लिए मना कर दिया था. द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण की सखी थीं, इस कारण वे उनकी बात नहीं टालती थीं.
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