Who is that immortal bear king: हिन्दू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं में जंबवंत को रीछों का राजा माना जाता है. इनको कपिश्रेष्ठ नामक वानर के रूप में भी जाना जाता है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जंबवंत को भगवान राम की रावण पर विजय में सहायता करने के लिए भगवान ब्रह्मा द्वारा बनाया गया था.
समुद्र मंथन के समय जंबवंत भी उपस्थित थे. कहा जाता है कि वामन रूपी विष्णु के तीनों लोकों का दान लेने के समय जंबवंत ने उनका कई बार चक्कर लगाया था. मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में स्थित जामथून गांव को "जामवंत की नगरी" के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि यह जंबवंत का निवास स्थान था.
जंबवंत को भगवान ब्रह्मा का पुत्र और अमर बताया जाता है. वह हिमालय के राजा थे जिन्हें भगवान राम की सेवा करने के लिए एक वानर के रूप में अवतार लिया गया था. भगवान राम ने उन्हें दीर्घायु और एक लाख सिंहों के समान बल का आशीर्वाद दिया था.
जंबवंत को आमतौर पर एक भालू के रूप में वर्णित किया जाता है, हालांकि कुछ ग्रंथों में उन्हें कपिश्रेष्ठ नामक वानर के रूप में भी उल्लेख मिलता है. एक कथा के अनुसार, सृष्टि के समय भगवान ब्रह्म कमल पर बैठकर भगवान विष्णु को ध्यान मग्न देख रहे थे. तभी ध्यान में लीन विष्णु के मुख से एक भालू निकला जिसे बाद में जंबवंत नाम दिया गया. संस्कृत में जम्हाई को जृम्भण कहते हैं और माना जाता है कि जंबवंत का जन्म जम्बूद्वीप नामक द्वीप पर हुआ था. उनकी पुत्री जंबवती का विवाह भगवान कृष्ण से हुआ था.
रामायण में जंबवंत की महत्वपूर्ण भूमिका है. सीता की खोज के लिए हनुमान को प्रेरित करने और उनकी असीम क्षमताओं को उजागर करने का श्रेय जंबवंत को ही दिया जाता है. जब हनुमान राम की खोज में ऋष मुनियों के पास पहुंचे, तो जंबवंत ही थे जिन्होंने हनुमान को उनके पवनपुत्र होने का और उनके अंजनी नाम की माता होने का स्मरण कराया. जंबवंत ने ही हनुमान को बताया कि उनकी ताकत इतनी है कि वे समुद्र लांघ सकते हैं.
इसके साथ ही जंबवंत ने उन्हें वैद्यराज सुषेण से मिलने की सलाह दी, जिनसे उन्हें विशल्याकरण नामक औषधि के बारे में पता चला. इस औषधि का उपयोग लक्ष्मण को बचाने में किया गया था, जिन्हें इंद्रजीत के कारण बेहोशी हो गई थी. रावण के साथ युद्ध में जंबवंत ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्होंने रावण पर कई शक्तिशाली प्रहार दिए और उनकी छाती पर लात मारी, जिससे वह युद्ध के दौरान बेहोश हो गए.