ये हैं बरगद के सबसे पुराने पेड़, जानिए क्यों हैं प्रसिद्ध?
Vat tree: बरगद-पीपल आदि पेड़ो की उम्र काफी लंबी होती है. हिंदू धर्म में इन पेड़ों को काफी पूजनीय माना गया है. वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ का ही पूजन किया जाता है. इस पेड़ के पूजन से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे भी बरगद के पेड़ हैं, जो एक नहीं सैंकड़ों साल पुराने हैं. आइए जानते हैं कि वे बरगद के पेड़ कहां पर स्थित हैं और वे क्यों प्रसिद्ध हैं.
Vat tree: वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ का पूजन किया जाता है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास माना जाता है. इस वृक्ष का पूजन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इन वृक्षों का जीवनकाल काफी अधिक होता है, ऐसे में क्या आप जानते हैं कि सबसे प्रसिद्ध बरगद के पेड़ कहां पर स्थित हैं और यह कितने साल पुराने हैं.
अगर नहीं तो जान लें कि आउटलुक ट्रैवलर और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का सबसे पुरान बरगद का पेड़ भारत में ही मौजूद है. इसकी उम्र करीब 500 साल आंकी गई है. यह पेड़ उत्तरप्रदेश का बुलंदशहर में स्थित है. इससे पहले कोलकाता में स्थित आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटैनिक गार्डेन शिबपुर में मौजूद एक एक बरगद के पेड़ को सबसे पुरान पेड़ माना जाता था. इसकी उम्र करीब 350 साल मानी गई है. वहीं, कुछ और ऐसे बरगद के पेड़ हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं.
गया में स्थित बरगद का पेड़
बिहार के गया में भी एक प्राचीन बरगद का पेड़ है. इसे अक्षयवट के नाम से जाना जाता है. यह पेड़ बोधगया मार्ग पर स्थित माऊनपुर मोड़ से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि इस अक्षयवट का उद्धार भगवान ब्रह्मा ने किया था और माता सीता ने इस वृक्ष को अक्षय होने का वरदान दिया था.
वृंदावन स्थित बरगद का पेड़
भगवान बांके बिहारी की नगरी वृंदावन में एक काफी प्राचीन बरगद का पेड़ है. यहां पर यमुना किनारे वंशीवट घाट है. इस जगह पर प्राचीन वट वृक्ष है. यहां पर वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु ने प्रभु के दर्शन किए थे.
प्रयागराज स्थित बरगद का पेड़
प्रयागराज में स्थित यह बरगद का पेड़ अकबरकालीन एक किले के अंदर स्थित है. इसे मनोरथ वट कहा जाता है. इसको काफी फेमस वृक्ष माना जाता है. इस वट वृक्ष का दर्शन चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी किया था.
पुरी स्थित बरगद का पेड़
जगन्नाथपुरी में नीलांचल पर्वत पर एक बरगद का वृक्ष स्थित है. इसको इच्छा पूर्ण करने वाला कल्पतरू माना गया है. पौराणिक कथाओं की मानें तो यहां भगवान श्रीराम, मात सीता और लक्ष्मण जी वनवास के दौरान कुछ समय यहां पर रहे थे. इसी कारण इस स्थान को वनस्थली के नाम से भी जाना जाता है.
पंचवटी
जहां पीपल, बेल, बरगद, हड़ और अशोक के वृक्ष लगे होते हैं वह स्थान पंचवटी कहलाता है. छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में भी एक पंचवटी स्थित है. यहां का वटवृक्ष काफी पुराना है.
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