Khatu Shyam Mela: कब से हो रही है खाटू श्याम मेले की शुरुआत, क्या है इसके पीछे का राज
Khatu Shyam Mela: जल्द ही 'हारे के सहारा' खाटू श्याम का जन्मोत्सव आने वाला है. इस दिन लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन खाटू श्याम के दर्शन मात्र से जीवन का उद्धार हो जाता है.
Khatu Shyam Mela: जल्द ही भगवान खाटू श्याम का जन्मदिन आने वाला है. इस दिन धूमधाम से उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन यहां पर लक्खी मेले का भी आयोजन किया जाता है.
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर हर किसी के लिए आस्था का केंद्र है. हर दिन लाखों भक्त बाबा के दर्शन को आते हैं. बाबा खाटू श्याम को 'हारे का सहारा' कहा जाता है. मान्यता है कि खाटू श्याम के दर्शन मात्र से जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है. इसके साथ ही भक्त की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं.
सजता है श्याम बाबा का दरबार
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम दरबार को उनके जन्मदिन पर काफी भव्य रूप से सजाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दिन खाटू श्याम के दर्शन करने से जीवन का उद्धार हो जाता है. इसके साथ ही इस दिन लाखों की संख्या में लोग भगवान खाटू श्याम का दर्शन करने आते हैं और खुद को कृतार्थ करते हैं.
साल 2024 में कब है खाटू श्याम का जन्मदिन और लक्खी मेला?
हर साल फाल्गुन माह की एकादशी को खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है. साल 2024 में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 मार्च 2024 को पड़ेगी. इस दिन के पहले से ही लक्खी मेले का आयोजन किया जाता. लक्खी मेला 10 दिनों तक आयोजित किया जाता है. यह मेला फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से द्वादशी तक आयोजित किया जाता है. इस साल यह मेला 12 मार्च 2024 से आयोजित होगा और 21 मार्च 2024 तक चलेगा. बाबा श्याम को सुजानगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद मेले का समापन किया जाता है.
क्यों लगता है लक्खी मेला?
फाल्गुन माह में हर साल लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में महाभारत के समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र वीर बर्बरीक ने अपना सिर दान कर दिया था. इसकी वजह से लक्खी मेला द्वादशी तक चलता है.
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