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Pausha Putrada Ekadashi: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Pausha Putrada Ekadashi: महिलाएं अपनी संतान की खुशी के लिए इस व्रत को रखती है. आइए जानते हैं कि इस बार पौष पुत्रदा एकादशी कब पड़ रही है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है.

Gyanendra Tiwari

Pausha Putrada Ekadashi:   हिंदू धर्म में हर एक त्योहार और व्रत का विशेष महत्व होता है. व्रत की बात करें तो एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. ज्योतिष की मानें तो अगर इस एकादशी के व्रत को नियमित रूप से रखा जाए तो सभी दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं. संतान की सुख शांति के लिए भी एकादशी का व्रत रखा जाता है. पौष माह की एकादशी का भी विशेष महत्व होता. महिलाएं अपनी संतान की खुशी के लिए इस व्रत को रखती है. आइए जानते हैं कि इस बार पौष पुत्रदा एकादशी कब पड़ रही है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है.


 

कब है पौष पुत्रदा एकादशी?
पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है. पहला व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष तो दूसरा व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है. इस बार पौष माह में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को पड़ रही है. 21 जनवरी को रविवार का दिन पड़ रहा है. आपको बता दें कि एकादशी के व्रत में सृष्टि के पालनहार भगवान हरि यानी विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप पुत्र प्राप्ति के लिए  ही किया जाता है. धार्मिक मान्यता की मानें तो इस व्रत को रखने से जातक को जल्दी ही पुत्र की प्राप्ति होती है.

पौष पुत्रदा एकादशी में पूजा करने का शुभ मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार इस बार पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को पड़ रही है. इसकी शुरुआत 20 जनवरी की शाम 7 बजकर 26 मिनट से होगी. और एकादशी की तिथि 21 जनवरी की शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 34 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक है. इस समय अवधि में पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो सकते हैं.

पूजन विधि
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नान ध्यान कर लें. साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. स्नान ध्यान करने के बाद घर के मंदिर में पूजा करें. पूजन सामग्री में धूप, दीप, माला फूल, अगरबत्ती, समेत  सोलह सामग्री के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. पूजा करने के बाद रात में भगवान विष्णु का भजन कीर्तन करें.  एकादशी के अगले दिन सुबह-सुबह स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा आराधना करें.
 

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