खत्म हुआ इंतजार, आ रहे हैं विघ्नहर्ता, जानिए कब है पूजा का शुभ मुहूर्त?
गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. इसी कारण गणेश उत्सव मनाया जाता है.
नई दिल्ली. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं. गणेश उत्सव का यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक चलता है. 10 दिनों तक इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है.
इस दौरान घरों और बड़े-बड़े पूजा पंडालों में गौरीनंदन की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. भगवान गणेश, देवो के देव महादेव और माता पार्वती के पुत्र हैं और इनको सुख और समृद्धि का देवता माना जाता है. इसके साथ ही ये ऋद्धि और सिद्धि के पति भी हैं. मान्यता है चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करने से मनचाहा फल मिलता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में विघ्नहर्ता का स्वागत किया जाता है. 10 दिन तक पूजन के बाद बप्पा को धूमधाम से विदा किया जाता है.
साल 2023 में कब है गणेश चतुर्थी ?
साल 2023 में भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 9 मिनट से शुरू हो रही है. यह 19 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक रहने वाली है. इसके साथ ही उदया तिथि के आधार पर गणेश 19 सितंबर को मनाई जाएगी. इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत भी होगी.
क्या है गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त?
गणेश प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है. इस समय पर आप अपने घरों में 'गणपति बप्पा' की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं.
इस विधि से करें गणपति बप्पा की प्रतिमा की स्थापना
1- इस दिन गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें.
2- इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आसन कहीं से कटा-फटा न हो.
3- अब गणेश जी की प्रतिमा को किसी लकड़ी या चौकी पर गेहूं, मूंग, ज्वार रखकर इस पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें.
4- गणेश जी प्रतिमा के दाएं और बाएं तरफ रिद्धि और सिद्धि के स्वरूप में एक-एक सुपारी रख दें.
इस प्रकार करें पूजन
1- गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले घर के उत्तर, पूर्व या पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें.
2- इसके बाद शुद्ध आसन पर खुद बैठें. इसके बाद चौकी पर गणपति जी को विराजमान करके नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं.
3- चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीपक जलाएं.
4- खुद पर जल छिड़कते हुए और ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें. इसके बाद जल से तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं.
5- हाथ में गंध, अक्षत और पुष्प लें और गणेश जी का ध्यान करते हुए, इन्हें जमीन पर छोड़ें.
6- इसके बाद गणेश जी का आह्वान करें और उनको आसन भी दें.
7- पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक 'ॐ श्रीगणेशाय नमः और ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का अनवरत जाप करते रहें.
8- अब गणपति जी को स्नान कराएं और हो सके तो पंचामृत से भी गणपति जी का अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें शुद्ध जल और गंगाजल से स्नान कराएं.
9- इसके बाद बप्पा को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवैद्य, फल आदि अर्पित करें.
10- अंत में गणेश जी की आरती करें और अपनी मनोकामना उनसे कहें.
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