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Ramzan 2024 : माह-ए-पाक है रमजान, जानें कब और कैसे हुई रोजा रखने की शुरुआत?

Ramzan 2024 : मुस्लिम समाज में रमजान का महीना बेहद ही खास माना जाता है. इसमें लोग रोजा रखते हैं. इस माह में दुनियादारी के बंधनों को भूलकर अल्लाह से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की जाती है. क्या आप जानते हैं कि रमजान की शुरूआत कब से हुई है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं कि रोजा रखने की परंपरा कब से शुरू हुई है.

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Edited By: Mohit Tiwari
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Courtesy: freepik

Ramzan 2024 : इस्लाम में हर बालिग व्यक्ति को रोजा फर्ज अदा करना जरूरी है. रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं. रोजा में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. रमजान को रहमतों और बरकतों का महीना माना जाता है. इस कारण इस पूरे माह में मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह की इबादत के साथ ही चैरिटी भी करते हैं. 

सऊदी अरब में जिस दिन रमजान का चांद दिखता है, उसके अगले दिन से ही भारत में रोजा रखा जाने लगता है. ये महीना ईद-उल-फितर के साथ पूरा होता है. रमजान के महीने में लोग पूरे दिन रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. सभी मुस्लिमों को रोजा रखना अनिवार्य होता है. इस पाक महीने में जकात (दान) देना आवश्यक माना जाता है. 

साल 2024 में इस दिन से शुरू हो रहा है रमजान का महीना

रमजान के महीने में चांद दिखने के दूसरे दिन से रोजा रखा जाता है. साल 2024 में 11 मार्च 2024 सोमवार के दिन रमजान शरीफ का चांद दिखाई देने की उम्मीद है. अगर इस दिन चांद दिखाई देता है तो इसी रात तरावीह पढ़ी जाएगी और पहले रोजे की सहरी खाई जाएगी. ऐसे में 12 मार्च 2024 को पहला रोजा रखा जाएगा. हालांकि यह तारीख 29वें चांद के मुताबिक है. चांद न दिखने पर डेट आगे-पीछे हो सकती है. 

क्यों खास है रमजान? 

माना जाता है कि 610ईं में इस्लामी पवित्र ग्रंथ कुरआन नाजिल हुआ था. इस कारण यह महीना मुस्लिमों के लिए काफी अधिक खास होता है. इस दौरान लोग अनुशासित रहते हैं. इसके साथ ही बिना कुछ खाए-पिए रोजा रखते हैं.  इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को जकात (दान) देना आवश्यक माना जाता है. जकात में व्यक्ति अपनी कमाई का ढाई फीसदी हिस्सा देता है.

इस्लामी कैलेंडर को नौंवा महीना होता है रमजान

इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना रमजान होता है. इस महीने में पूरे 30 दिन रोजा रखा जाता है. रोजा को सूर्योदय से पहले सहरी खाकर शुरू किया जाता है. वहीं, सूरज डूबने के बाद इफ्तार किया जाता है. रमजान का महीना शाबान के बाद आता है. रमजान के 30 दिनों को तीन अशरों में बांटा गया है. इसमें पहले 10 दिन रहमत के, दूसरे 10 दिन बरकत और तीसरे 10 दिन मगफिरत के होते हैं. 

माह-ए-पाक है रमजान

रमजान को बेहद पवित्र महीना माना गया है. इस माह में रोजा रखने के साथ ही मुस्लिम लोग मस्जिदों में तारावीह पढ़ने के साथ ही कुरआन की तिलावत भी करते हैं. 

ऐसे शुरू हुई रोजे की परंपरा

रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई थी. कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था. मुहम्मद साहब के मक्के से मदीना पहुंचने के 1 साल बाद मुस्लमानों को रोजा रखने का हुक्म आया था. 

नहीं किया जाता है गलत काम

रमजान का पाक महीने में न तो जुबान से गलत बोला जाता है, न ही आंख से गलत देखा जाता है और न ही हाथों से कुछ गलत किया जाता है. रोजे की हालत में शारीरिक संबंध बनाने की भी मनाही होती है. रात में दंपति अगर ऐसा कर भी लेते हैं तो सहरी के पहले पाक होना जरूरी होता है. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.