Ramzan 2024 : इस्लाम में हर बालिग व्यक्ति को रोजा फर्ज अदा करना जरूरी है. रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं. रोजा में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. रमजान को रहमतों और बरकतों का महीना माना जाता है. इस कारण इस पूरे माह में मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह की इबादत के साथ ही चैरिटी भी करते हैं.
सऊदी अरब में जिस दिन रमजान का चांद दिखता है, उसके अगले दिन से ही भारत में रोजा रखा जाने लगता है. ये महीना ईद-उल-फितर के साथ पूरा होता है. रमजान के महीने में लोग पूरे दिन रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. सभी मुस्लिमों को रोजा रखना अनिवार्य होता है. इस पाक महीने में जकात (दान) देना आवश्यक माना जाता है.
रमजान के महीने में चांद दिखने के दूसरे दिन से रोजा रखा जाता है. साल 2024 में 11 मार्च 2024 सोमवार के दिन रमजान शरीफ का चांद दिखाई देने की उम्मीद है. अगर इस दिन चांद दिखाई देता है तो इसी रात तरावीह पढ़ी जाएगी और पहले रोजे की सहरी खाई जाएगी. ऐसे में 12 मार्च 2024 को पहला रोजा रखा जाएगा. हालांकि यह तारीख 29वें चांद के मुताबिक है. चांद न दिखने पर डेट आगे-पीछे हो सकती है.
माना जाता है कि 610ईं में इस्लामी पवित्र ग्रंथ कुरआन नाजिल हुआ था. इस कारण यह महीना मुस्लिमों के लिए काफी अधिक खास होता है. इस दौरान लोग अनुशासित रहते हैं. इसके साथ ही बिना कुछ खाए-पिए रोजा रखते हैं. इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को जकात (दान) देना आवश्यक माना जाता है. जकात में व्यक्ति अपनी कमाई का ढाई फीसदी हिस्सा देता है.
इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना रमजान होता है. इस महीने में पूरे 30 दिन रोजा रखा जाता है. रोजा को सूर्योदय से पहले सहरी खाकर शुरू किया जाता है. वहीं, सूरज डूबने के बाद इफ्तार किया जाता है. रमजान का महीना शाबान के बाद आता है. रमजान के 30 दिनों को तीन अशरों में बांटा गया है. इसमें पहले 10 दिन रहमत के, दूसरे 10 दिन बरकत और तीसरे 10 दिन मगफिरत के होते हैं.
रमजान को बेहद पवित्र महीना माना गया है. इस माह में रोजा रखने के साथ ही मुस्लिम लोग मस्जिदों में तारावीह पढ़ने के साथ ही कुरआन की तिलावत भी करते हैं.
रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई थी. कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था. मुहम्मद साहब के मक्के से मदीना पहुंचने के 1 साल बाद मुस्लमानों को रोजा रखने का हुक्म आया था.
रमजान का पाक महीने में न तो जुबान से गलत बोला जाता है, न ही आंख से गलत देखा जाता है और न ही हाथों से कुछ गलत किया जाता है. रोजे की हालत में शारीरिक संबंध बनाने की भी मनाही होती है. रात में दंपति अगर ऐसा कर भी लेते हैं तो सहरी के पहले पाक होना जरूरी होता है.
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