Lord Vishnu Katha: हिंदू धर्म में भगवान श्रीहरि विष्णु को जगत का पालनहार कहा गया है. भगवान विष्णु ने कई बार देवताओं को दैत्यों से बचाया था. एक बार भगवान विष्णु को स्वयं एक दैत्य न छल लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देव धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले तो असुर उस अमृत कलश को लेकर भाग गए. इस पर भगवान विष्णु ने एक स्त्री का रूप धारण कर लिया.
वह स्त्री इतनी सुंदर थी कि हर कोई उसको देखकर मोहित हो गया. इस कारण उन्होंने अपना नाम मोहिनी बताया. मोहिनी ने असुरों को अपने मोहपाश में ऐसा बांधा कि असुर अमृत भूलकर मोहिनी की सुंदरता देखकर ही मंत्रमुग्ध हो गए. मोहिनी ने असुरों से देवताओं और उनको बारी-बारी से अमृत पान कराने के लिए राजी कर लिया.
जब भगवान विष्णु मोहिनी स्वरूप में देवताओं को अमृत पान करा रहे थे तभी एक स्वरर्भानु नाम के असुर ने देवताओं की चाल को समझ लिया और वह सूर्य और चंद्रमा के बगल में आकर बैठ गया. जैसे ही मोहिनी ने उसको अमृत दिया, वैसे ही सूर्य और चंद्रमा ने उसको पहचान लिया. उन्होंने भगवान विष्णु को बताया कि वह एक असुर है.
सूर्य और चंद्रमा ने जब बताया कि यह एक असुर है तो भगवान विष्णु अपने स्वरूप में आए और उस असुर पर सुदर्शन चक्र छोड़ दिया. सुदर्शन चक्र ने उस असुर सिर धड़ से अलग कर दिया. वह असुर अमृत का पान कर चुका था. इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसका सिर और धड़ अमर हो गया. उसका सिर राहु और धड़ केतु बन गया. भगवान ब्रह्म ने स्वरर्भानु के सिर मतलब राहु को सांप के शरीर से जोड़ दिया और उसके धड़ यानी केतु को सांप के सिर से जोड़ दिया था. आज भी राहु और केतु सूर्य व चंद्रमा के ग्रहण का कारण बनते हैं.
भगवान श्रीहरि विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी रूप रखा था. इस कारण वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. साल 2024 में मोहिनी एकादशी 19 मई को है.
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