Nirjala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को काफी पवित्र माना जाता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जानते हैं. एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन का व्रत भीम ने भी किया था. इस कारण इसको भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत में न अन्न खाया जाता है और न ही जल ग्रहण किया जाता है. इस कारण यह व्रत काफी कठिन होता है.
निर्जला एकादशी के दिन सिर्फ कुल्ला करने और आचमन के लिए सिर्फ आप जल मुंह में डाल सकते हैं. इस एकादशी को मोक्षदायिनी माना जाता है. इस तिथि पर व्रत रखने वाला सभी भौतिक सुखों को भोगता है और मोक्ष को प्राप्त करता है. निर्जला एकादशी का व्रत कभी अगर गलती से टूट जाए तो घबराना नहीं चाहिए. सबसे पहले तो भगवान से माफी मांगकर भविष्ण में ऐसी गलती न करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद कुछ उपायों को अपनाना चाहिए.
अगर व्रत खंडित हो जाए तो दोबारा से स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु का दूध, दही, शहद, चीनी से बने पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इस बाद श्रीहरिविष्णु की पोडशोपचार पूजा करें. इसके साथ ही क्षमा मांगते हुए मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देवा परिपूर्ण तदस्तु मे॥ ॐ श्री विष्णुवे नमः क्षमा याचनं समर्पयामि॥ मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही गाय, ब्राह्मण और कन्याओं को भोजन कराएं.भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मंत्र ओम नमः भगवते वासुदेवाय का 11 बार या तुलसी की माला से जाप करें. इसके साथ ही ब्राह्मण को पीले वस्त्र, फल, मिठाई, शास्त्र, चना, हल्दी, केसर और अन्य वस्तुओं का दान करें.
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