Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है. साल 2024 में ज्येष्ठ माह की अमावस्या 6 मई को पड़ रही है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन शनि जयंती भी पड़ रही है. अगर आपकी शादी अभी हुई है और यह आपका पहला वट सावित्री व्रत है तो आपको कुछ खास नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
अगर आप पहली बार इस व्रत को रख रही हैं तो आपको लाल साड़ी ही पहननी चाहिए. इसके साथ ही यह व्रत मायके में रखना चाहिए. इसके साथ ही सुहाग की सामग्री भी मायके की ही यूज करनी चाहिए. पहली बार इस व्रत की शुरुआत मायके से ही की जाती है. इस सोलह श्रृंगार अवश्य करें. एक बांस की टोकरी में 7 प्रकार के अनाज और ब्रह्मा जी की मूर्ति अवश्य रखें. इसके साथ ही दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री के साथ वाली मूर्तियां रखें.
ज्येष्ठ माह पर अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून 2024 को शाम 07:54 से शुरू होगी और यह 6 जून की शाम 06:07 तक रहने वाली है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा.
इस दिन पूजा सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कलावा, सुहाग का सामान, कच्चा सूत, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, चना, बरगद के फल, सात प्रकार के अनाज, खरबूजा, आम और जल से भरा हुआ कलश अवश्य रखें.
इस दिन सुहागिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करने चाहिए. इसके साथ ही आपको पूरे घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए. एक बांस की टोकरी में 7 अनाजों को भरकर उसमें ब्रह्मा जी की मूर्ति रख दें. बरगद के पेड़ के नीचे सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए ब्रह्मा जी का पूजन करें. इसके बाद सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इस बाद मौली, रोली ,कच्चा सूत भिगोया हुआ काला चना, फल और फूल व धूप से बरगद की पूजा करें. बरगद के पेड़ पर फिर से जल चढ़ाएं. अब कच्चे धागे को लपटेते हुए कम से कम तीन बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें. इसके बाद बरगद के पत्तों के गहने बनाकर धारण करें. इस वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें. कथा के बाद चनों के साथ कोई भेंट रखकर अपनी सास या ननद या सास के समान किसी महिला को दें और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. पूजा को समाप्त करके ब्राह्मण को वस्त्र, फल, अन्न आदि को दान कर दें और उनका आशीर्वाद लें.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावित्री के पति सत्यवान को इसी पेड़ के नीचे दोबारा जीवनदान मिला था. इस कारण बरगद के पेड़ का पूजन किया जाता है.
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