Amarnath Yatra 2024: जम्मू की राजधानी श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित अमरनाथ गुफा में भगवान शिव विराजमान हो गए हैं. आगामी 29 जुलाई से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत भी हो जाएगी. इस यात्रा के लिए तत्काल पंजीकरण 26 जून से शुरू हो चुके हैं. बाबा के दर्शन को लाखों भक्त आते हैं. यहां लोग भगवान शिव के अनुपम और अनोखे रूप का दर्शन करते हैं. यह यात्रा 19 अगस्त तक जारी रहने वाली है.
भगवान अमरनाथ का स्थान बर्फीला इलाका है और यहां दुर्गम पहाड़ों से होते हुए बाबा के दर्शन के लिए जाना होता है. इस जगह की समुद्र तल से ऊंचाई 3,978 मीटर है. यह गुफा 150 फीट ऊंची है और करीब 90 फीट तक लंबी है. यहां पर जाने के लिए दो रास्ते हैं. इसमें से एक रास्ता पहलगाम होकर जाता है और दूसरा रास्ता सोनमर्ग बालटाल से जाता है. अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए पंजीकरण कराने के बाद आपको सबसे पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है. इसके बाद यहां से पैदल यात्रा की शुरुआत होती है.
पहलगाम से अमरनाथ जाने का रास्ता सरल और सुविधाजनक है. बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी करीब 14 किलोमीटर है. यहां मार्ग पार करना मुश्किल भरा होता है. यही कारण है कि लोग पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाते हैं. अमरनाथ एक प्रमुख तीर्थस्थल है. यहां भगवान शिव विराजमान हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी. माता पार्वती के साथ ही इस कथा को एक तोते और दो कबूतरों ने सुन लिया था. यही तोता शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए. वहीं, गुफा में आज भी कबूतरों का जोड़ा भक्तों को दिखाई देता है. इन्हें अमर पक्षी माना जाता है. उस दिन के बाद से ही यहां पर बर्फ का शिवलिंग प्रकट होता है और भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.
जब भगवान शिव माता पार्वती को कथा सुनाने जा रहे थे तो उन्होंने नागों को अनंतनाग में छोड़ा था. माथे पर चंदन को चंदनवाड़ी में उतारा था. पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था. ये सभी स्थान आज भी अमरनाथ यात्रा में भक्तों को मिलते हैं.
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