Rath Yatra 2024 : ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ माह की द्वितीया यानी कि 7 जुलाई को शुरु हो गई है. इस दौरान प्रभु अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं. इस दौरान वे गुंडिचा मंदिर भी जाते हैं. मान्यता है कि यह माता यशोदा की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की मौसी हैं. यहां पर प्रभु कुछ दिन विश्राम करते हैं. हालांकि इस दौरान वे बीमार भी पड़ जाते हैं.
करीब 10 दिन बाद भगवान जगन्नाथ ऐसे ही रथ पर सवार होकर अपनी बहन और बड़े भाई के साथ वापस मंदिर आ जाते हैं. मान्यता है कि रथ यात्रा से के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य फल प्राप्त होता है. रथ यात्रा में सबसे आगे भगवान बलराम और उनके पीछे देवी सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ रहते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के नाम का संकीर्तन करता हुआ गुंडिचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है. इसके साथ ही जो भी भगवान के नाम का कीर्तन करता है या फिर रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
पुरी से निकलने वाली इस यात्रा में तीन रथ शामिल होते हैं. इसमें सबसे आगे भगवान बलराम जी का रथ चलता है. इस रथ का नाम तालध्वज है. इसकी ऊंचाई 43.30 फीट होती है.यह रथ तीनों रथों में सबसे बड़ा होता है. इसका रंग लाल और हरा होता है. इसमें 14 पहिए लगे होते हैं. इस रथ के सारथी मातलि हैं. इसके दूसरे नंबर पर बहन सुभद्रा का रथ होता है. इस रथ का नाम दर्पदलन है और इसकी ऊंचाई 42.32 फीट होती है. इसका रंग लाल और काला होता है. इसमें 12 पहिए लगे होते हैं. इस रथ के सारथी अर्जुन हैं.
सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ जगन्नाथ का रथ होता है. इस रथ को नंदीघोष और गरुड़ध्वज के नाम से जाना जाता है. यह रथ 42.65 फीट ऊंचा होता है. इसके साथ ही इसमें 16 पहिए होते हैं. इस रथ का रंग पीला और लाल होता है. भगवान जगन्नाथ के सारथी दारुक हैं.
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