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इस नदी में देवी माता ने धोए थे बाल, भगवान हनुमान ने बुझाई थी अपनी प्यास, जानिए कहां है यह पवित्र स्थान?

Holy River: हमारे हिंदू धर्म कुछ ऐसी पवित्र नदियां हैं, जिनमें स्नान करने मात्र से तन और मन दोनों पावन हो जाता है. इन नदियों को मां की संज्ञा दी जाती है. चाहे यमुना हो या गंगा ये सारी नदियां पूजनीय और पवित्र हैं. वहीं, आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको देवी माता ने स्वयं प्रकट किया है. यहां पर माता ने अपने बाल धोए थे और भगवान हनुमान ने यहां जल पिया था. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: pexels

Holy River: भारत में कई ऐसी नदियां हैं, जो इतनी ज्यादा पवित्र हैं, जिनके दर्शन मात्र से आपके सारे पाप धुल जाते हैं और इसमें स्नान करने से तन और मन दोनों ही पावन हो जाता है. ऐसी ही एक नदी जम्मू में है, जिसको खुद वैष्णों माता ने अपने बाण से प्रकट किया है. इस कारण यह नदी बाण गंगा कहलाई. यहां पर माता वैष्णो ने अपने बाल धोएं हैं. इसके साथ ही भगवान हनुमान ने भी यहां अपनी प्यास बुझाई थी. 

वैष्णो माता के यात्रा पांच चरणों में होती है. भक्त सबसे पहले बाण गंगा में स्नान करते हैं. इसके बाद ही अगले चरण के लिए आगे बढ़ते हैं. मान्यता है कि यहां स्नान मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं. यह जगह कटरा से करीब डेढ़ किलोमीटर दूरी पर स्थित है. यह गंगा नदी त्रिकुटा पर्वत से निकली है. 

जानिए इस नदी की पौराणिक कथा 

पौराणिक धार्मिक कथाओं के अनुसार माता वैष्णो देवी के एक परमभक्त श्रीधर थे. वे माता के पूजन में हमेशा लगे रहते थे. वहां एक भैरव नाम के बाबा भी थे. वे श्रीधर के भक्तिभाव से ईर्ष्या रखते थे. एक बार श्रीधर ब्राह्मणों को भोज पर बुलाया. इस दौरान भैरव भी भोज पर अपने साथियों के साथ आए. इस दौरान श्रीधर को आशीर्वाद देने माता वैष्णो स्वयं कन्या का रूप रखकर आईं. यहां पर भैरवनाथ पहले से ही मौजूद थे. कन्या को देखते ही भैरव उस कन्या की सच्चाई जानने के लिए उत्सुक हो गए. उस कन्या से जब भैरव ने नाम पूछा तो कन्या ने अपना नाम वैष्णवी बताया. इस कारण भैरव को शक हो गया कि ये माता वैष्णो ही हैं. 

माता हो गईं अंतर्ध्यान

शक के चलते भैरव ने कन्या को स्पर्श करना चाहा तो कन्या के रूप में मां अंतर्ध्यान हो गई. इसके बाद गगन मार्ग से होते हुए वह एक निर्जन वन में पहुंची. यहां उनकी भेंट रामभक्त हनुमान से हुई. उन्होंने भगवान हनुमान से कहा कि अगले 6 माह तक गुफा में ध्यान करने जा रही हैं, तब तक गुफा में कोई अंदर नहीं आ पाए. भगवान हनुमान ने माता वैष्णो की इस बात को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होंने देवी माता से कहा कि मां इस निर्जन वन में बिना पानी के मैं यहां कैसे रहूंगा. इस पर माता ने अपनी तरकश से बाण निकाला और जमीन में मारा तो धरती से गंगा प्रकट हो गईं. यहां माता वैष्णो ने अपने केश धोए और भगवान हनुमान ने अपनी प्यास बुझाई. यह जलधारा माता के बाण से प्रकट हुई इस कारण इसको बाण गंगा और माता ने यहां अपने बाल धोए इस कारण इस नदी को बाल गंगा के नाम से जानते हैं. 

यही से प्रारंभ होती है यात्रा

आज भी वैष्णो देवी की यात्रा इसी स्थान से प्रारंभ होती है. सबसे पहले लोग यहीं पर स्नान करते हैं. इसके बाद अन्य जगहों के दर्शन करते हैं. यहां माता का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.